युगतीर्थ आँवलखेड़ा युगतीर्थ आँवलखेड़ा, आगरा जिले का जलेसर रोड पर स्थित
छोटा सा गांव है, जहाँ आश्विन कृष्णा त्रयोदशी संवत् १९६८ (२० सितंबर ११११)
को युग पुरुष पं० श्रीराम शर्मा ने जन्म लिया । एक श्रीमंत ब्राह्मण
परिवार जहाँ धन की कोई कमी नहीं थी, पूरा परिवार संस्कारों से अनुप्राणित,
पिता भागवत के प्रकाण्ड पंडित, बहुत बड़ी जागीर के मालिक । आज जहाँ पूज्यवर
की स्मृति में एक विराट स्तंभ की, एक चबूतरे की तथा उनके कर्तृत्व रूपी
शिलालेखों की स्थापना हुई है- वहीं पूज्यवर ने शरीर से जन्म लिया था । समीप
बनी दो कोठरियों जो कालप्रवाह के क्रम में गिर- सी गई थीं, जीर्णोद्धार कर
वैसी ही निर्मित कर दी गई हैं, जैसी उनके समय में थी । जन्मभूमि का कण- कण
उस दैवीसत्ता की चेतना से अनुप्राणित है । उनके हाथ से खोदा कुओं जिसे
पूरे गाँव का एकमात्र मीठे जल वाला कुआँ माना गया, वह अभी भी है, उनके हाथ
से रोपा नीम का पेड़ एवं वह बैठक, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में सब
बैठकर चर्चा करते थे, आज भी उन दिनों की याद दिलाते हैं । पास में ही दो
कोठरियाँ हैं, जिनमें से एक कक्ष में वह स्थान है, जहाँ दीपक के प्रकाश में
से सूक्ष्म शरीरधारी उनकी गुरुसत्ता प्रकट हुई थी तथा जिसने उनके जीवन की
दिशाधारा का ११२६ के बाद के क्रम का निर्धारण कर दिया था । यह सब देखकर
मस्तिष्क- पटल पर वह दृश्य उभर आता था, जिसे गुरुसत्ता ने कभी देखा था व जो
गायत्री परिवार की स्थापना का मूल आधार बना । आँवलखेड़ा में ही उनकी माताजी
की स्मृति में स्थापित माता दानकुँवरि इंटर कॉलेज है, जो उनके द्वारा दान
दी गई जमीन में प्रदत्त धनराशि द्वारा विनिर्मित है । ११६३ से चल रहे इस
इंटर कॉलेज से कई मेधावी छात्र निकलकर आत्मनिर्भर बने हैं व उच्च पदों पर
पहुँचे हैं ।
१९७९ - ८० में गायत्री शक्तिपीठ एवं कन्या इंटर कॉलेज
की स्थापना का ताना- बाना बुना जाने लगा, जो एक विशाल शक्तिपीठ तथा आसपास
के दो सौ ग्रामों की बालिकाओं के पठन- पाठन की व्यवस्था करने वाले, उन्हें
सुशिक्षित, संस्कारवान, आत्मावलंबी बनाने वाले माता भगवती देवी कन्या
महाविद्यालय का रूप ले चुका है । प्रथम पूर्णाहुति हेतु इसी भूमि को जो
शक्तिपीठ- जन्मभूमि- ग्रामीण क्षेत्र के चारों ओर है, इसीलिए चुना गया कि
यहाँ से उद्भूत प्राण ऊर्जा से यहाँ आने वाला हर संकल्पित साधक अनुप्राणित
होकर जाए व राष्ट्र के नवनिर्माण की सांस्कृतिक तथा भावनात्मक क्रांति की
पृष्ठभूमि रख सके । शासन द्वारा वंदनीया माताजी की स्मृति में माता भगवती
देवी राजकीय चिकित्सालय प्रारंभ किया गया है । पूज्यवर की जन्मभूमि पर
तत्कालीन प्रधान मंत्री पी.वी. नरसिंहाराव ने कीर्ति स्तंभ का लोकार्पण
१११५ में किया । गायत्री शक्तिपीठ पर गोशाला, स्वावलंबन एवं साधना की
गतिविधियाँ चल रही हैं । यहाँ पूज्यवर ११३६ - ३७ तक ही रहे, कुछ दिन आगरा
रहकर ११४० -४१ में मथुरा चले गए; वहाँ एक मकान किराए पर लिया, जिसे आज
अखण्ड ज्योति संस्थान कहते हैं ।
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