हमारा युग निर्माण सत्संकल्प

युग निर्माण जिसे लेकर गायत्री परिवार अपनी निष्ठा और तत्परतापूर्वक अग्रसर हो रहा है, उसका बीज सत्संकल्प है। उसी आधार पर हमारी सारी विचारणा, योजना, गतिविधियाँ एवं कार्यक्रम संचालित होते हैं, इसे अपना घोषणा- पत्र भी कहा जा सकता है। हम में से प्रत्येक को एक दैनिक धार्मिक कृत्य की तरह इसे नित्य प्रातःकाल पढ़ना चाहिए और सामूहिक शुभ अवसरों पर एक व्यक्ति उच्चारण करें और शेष लोगों को उसे दुहराने की शैली से पढ़ा जाना चाहिए।

  1. हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे।
  2. शरीर को भगवान् का मंदिर समझकर आत्म- संयम और नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करेंगे।
  3. मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाए रखने के लिए स्वाध्याय एवं सत्संग की व्यवस्था रख रहेंगे।
  4. इंद्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम और विचार संयम का सतत अभ्यास करेंगे।
  5. अपने आपको समाज का एक अभिन्न अंग मानेंगे और सबके हित में अपना हित समझेंगे।
  6. मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे और समाजनिष्ठ बने रहेंगे।
  7. समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन्न अंग मानेंगे।
  8. चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी एवं सज्जनता का वातावरण उत्पन्न करेंगे।
  9.  अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे।
  10. मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं, योग्यताओं एवं विभूतियों को नहीं, उसके सद्विचारों और सत्कर्मों को मानेंगे।
  11. दूसरों के साथ वह व्यवहार न करेंगे, जो हमें अपने लिए पसंद नहीं।
  12. नर- नारी परस्पर पवित्र दृष्टि रखेंगे।
  13. संसार में सत्प्रवृत्तियों के पुण्य प्रसार के लिए अपने समय, प्रभाव, ज्ञान, पुरुषार्थ एवं धन का एक अंश नियमित रूप से लगाते रहेंगे।
  14. परम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्त्व देंगे।
  15. सज्जनों को संगठित करने, अनीति से लोहा लेने और नव- सृजन की गतिविधियों में पूरी रुचि लेंगे।
  16. राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति निष्ठावान् रहेंगे। जाति, लिंग, भाषा, प्रांत, सम्प्रदाय आदि के कारण परस्पर कोई भेदभाव न बरतेंगे।
  17. मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है, इस विश्वास के आधार पर हमारी मान्यता है कि हम उत्कृष्ट बनेंगे और दूसरों को श्रेष्ठ बनाएँगे, तो युग अवश्य बदलेगा।
  18. ‘‘हम बदलेंगे- युग बदलेगा’’, ‘‘हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा’’ इस तथ्य पर हमारा परिपूर्ण विश्वास है।


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