जीवन कालक्रम

इतिहास में कभी- कभी ऐसा होता है कि अवतारी सत्ता एक साथ बहुआयामी रूपों में प्रकट होती है एवं करोड़ों ही नहीं, पूरी वसुधा के उद्धार- चेतनात्मक धरातल पर सबके मनों का नये सिरे से निर्माण करने आती है ।। परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य को एक ऐसी ही सत्ता के रूप में देखा जा सकता है, जो युगों- युगों में गुरु एवं अवतारी सत्ता दोनों ही रूपों में हम सबके बीच प्रकट हुई ।। अस्सी वर्ष का जीवन जीकर एक विराट् ज्योति प्रज्ज्वलित कर उस सूक्ष्म ऋषि चेतना के साथ एकाकार हो गयी, जो आज युग परिवर्तन को सन्निकट लाने को प्रतिबद्ध है ।। परम वंदनीया माताजी शक्ति का रूप थीं, जो कभी महाकाली, कभी माँ जानकी, कभी माँ शारदा एवं कभी माँ भगवती के रूप में शिव की कल्याणकारी सत्ता का साथ देने आती रही हैं ।। उनने भी सूक्ष्म में विलीन हो स्वयं को अपने आराध्य के साथ एकाकार कर ज्योतिपुरुष का एक अंग स्व्यं को बना लिया ।। आज दोनों सशरीर हमारे बीच नहीं हैं, किन्तु, नूतन सृष्टि कैसे ढाली गयी, कैसे मानव गढ़ने का साँचा बनाया गया है, इसे शान्तिकुञ्ज, ब्रह्मवर्चस, गायत्री तपोभूमि, अखण्ड ज्योति संस्थान एवं युगतीर्थ आँवलखेड़ा जैसी स्थापनाओं तथा संकल्पित सृजन सेनानीगणों के वीरभद्रों की करोड़ों से अधिक की संख्या के रूप में देखा जा सकता है ।।

बाल श्रीराम - 1925 - बचपन 1911 के लिए जन्मजन्म :   आश्विन कृष्ण त्रयोदशी विक्रमी संवत् १९६७ (२० सितम्बर, १९११) को स्थूल शरीर से आँवलखेड़ा ग्राम जनपद आगरा, जो लतेसर मार्ग पर आगरा से पन्द्रह मील की दूरी पर स्थित है, में जन्मे श्रीराम शर्मा जी का बाल्यकाल- कैशोर्य काल... See More

First Meeting With Spiritual Master (1926)Yagyopaveet (Thread) ceremony and initiation in Gayatri mantra by Mahamana Malviyaji in Banaras at the age of ten.At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji, an ageless yogi living in... See More

p { margin-bottom: 0.25cm; line-height: 120%; } स्वतंत्रता सेनानी पं श्रींराम शर्मा आचार्य (1930 To 1942):- राष्ट्र के परावलम्बी होने की पीड़ा भी उन्हें उतनी ही सताती थी जितनी कि गुरुसत्ता के आदेशानुसार तपकर सिद्धियों के उपार्जन की ललक उनके मन में थी ।। उनके इस असमंजस को गुरुसत्ता ने ताड़कर परावाणी से उनका... See More

p { margin-bottom: 0.25cm; line-height: 120%; } पत्रकारिता में प्रवेश और अखंड-ज्योति पत्रिका के पहले अंक (1937): - "कम उम्र में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। 1927-28 में 'सैनिक' पेपर में लेख लिख कर सक्रिय भागीदारी। प्रकाशित कि और इसके माध्यम से प्रचारित सत्याग्रह आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान।" बाबू गुलाबराय से पत्रकारिता में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया: - मठ पर्लब् "सैना में" कलम के तहत लेख और गीत लेखन से क्रांति... See More

    Donated ancestral land, built and established Mata Dankunwari Inter College. (now converted into a Degree college) at birth place, Anwalkheda. Established a huge Gayatri Shakti Peeth at Anwalkheda.    By way of Poornahuti of 24 Gayatri Maha Purashcharans, established Gayatri Tapobhumi at Mathura, celebrated 108 Kundiya Yagya (1953) Narmedh (sacrificing... See More

Establishment of Shantikunj in Sapt-Sarovar Hardwar in 1971 and commencement of Rishi Parampara in present era.24 crore Gayatri Jap by virgins in the presence of Akhand Deep under the patronage of Vandaniya Mataji.Commencement of universal movement of women awakening.Establishment of Brahmavarchas Research Institute in 1979. A well equipped laboratory to... See More



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