कुछ विशिष्ट धाराएँ

शान्तिकुञ्ज व्यक्तित्व गढ़ने की टकसाल है। जाति, संप्रदाय, धर्म, पंथ आदि संकीर्णताओं से ऊपर उठकर लोगों को यह जीवन जीने की कला सिखाता है। उन्हें आत्मवादी जीवन जीने की प्रेरणा देता है। हर धर्म-वर्ग के लोग यहाँ आकर साधना करते हैं, शिक्षण लेले हैं।

यहाँ शरीर, मन व अंत:करण को स्वस्थ, समुन्नत बनाने के लिए अद्वितीय  अनुकूल वातावरण, मार्गदर्शन एवं शक्ति-अनुदान मिलते हैं।

शान्तिकुञ्ज व्यक्ति को अंध विश्वास, मूढ़मान्यता, भाग्यवाद आदि से उठकर कर्मवादी बनने की प्रेरणा देता है। हर बात को तर्क-तथ्य और प्रमाण की कसौटी पर कसते हुए उसे विवेक पूर्वक अपनाने की प्रेरणा यहाँ दी जाती है।
 
शान्तिकुञ्ज प्राचीन भारतीय परंपरा के अनुरुप सयुंक्त परिवारों के प्रचलन को प्रोत्साहित करने वाला आदर्श केन्द्र है। यह विशाल आश्रम स्वयंसेवा से ही संचालित है। योग्यता के अनुसार कार्य और आवश्यकता के अनुसार साधन यहाँ रहने वाले परिवारीजनों को उपलब्ध कराये जाते हैं। सभी परस्पर हितों का ध्यान रखते हैं।

दुनिया के जो विषय हैं, वह यहाँ हैं ही नहीं। दुनिया पद, पैसा और प्रतिष्ठा के लिए कार्य करती है, शान्तिकुञ्ज सेवा और परोपकार की भावना को प्रोत्साहित करता है।
 
गायत्री चेतना (युगचेतना) का विश्वयापी विस्तार यहाँ से हो रहा है। पूरे विश्व में गायत्री परिवार द्वारा स्थापित ६००० से अधिक शक्तिपीठ-शाखाएँ हैं, जो यहाँ की प्रेरणा और मार्गदर्शन में जनजागरण व अध्यात्म के पुनर्जीवन के कार्यों में संलग्न हैं।
   
यहाँ के शिक्षण में धर्म विज्ञान का समन्वय है जो धार्मिक गतिविधियाँ यहाँ चलायी जाती हैं, उनकी वैज्ञानिकता का बोध भी कराया जाता है।

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