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About - Gayatri Mandir
ईश्वर परायण आध्यात्मिक जीवन शैली में देव- दर्शन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अपने इष्ट- आराध्य के गुणों को जीवन में अपनाने की सतत प्रेरणा पाना और उनसे अनुग्रह- आशीर्वाद की याचना करना इसका मुख्य प्रयोजन है।
पूज्य आचार्य जी ने बताया कि ईश्वर से माँगने योग्य सर्वश्रेष्ठ वस्तु है, सद्बुद्धि। व्यक्ति का विवेक जाग जाये, सद्बुद्धि आ जाये तो व्यक्ति स्वत: ही सन्मार्ग कि ओर बढ़ता जायेगा, हर परिस्थिति में सुख और संतोष की अनुभूति कर सकेगा। गायत्री मंदिर यही दिव्य प्रेरणा देता है।
भटका हुआ देवता गायत्री मंदिर में ही 'भटका हुआ देवता' का मंदिर भी है। आचार्य जी का कथन है कि जीवन ही वह प्रत्यक्ष देवता है, जिसे साधकर आत्मशक्तियों को जगाने और सद्गुण सम्पन्न बनाने की आवश्यकता है। अध्यात्म की समस्त शिक्षाओं का सार यही है। वेद, उपनिषद् यही कहते हैं।
साधना कक्ष
शान्तिकुञ्ज के वातावरण में दिव्यता की अनुभूति हर साधक को होती है। लगभग एक करोड़ गायत्री मंत्र जप की दैनिक साधना और यज्ञ का ही यह प्रभाव है। गायत्री मंदिर के सामने बने साधना कक्ष में बैठकर मंत्रजप, ध्यान करने वाले को यहाँ होने वाली सामूहिक साधना का लाभ मिलता है।
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