यज्ञ एक जीवन शैली है, भारतीय संस्कृति का मूल है। इसीलिए यज्ञ पर्व, त्यौहार, संस्कार आदि के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा है। शान्तिकुञ्ज की यज्ञशाला में पूज्य गुरुदेव द्वारा हिमालय से लायी गई शताब्दियों से अखण्ड अग्नि स्थापित है। शान्तिकुञ्ज की स्थापना से लेकर आज तक यहाँ प्रतिदिन यज्ञ होता है। इन दिनों प्रतिदिन औसतन २००० साधक यहाँ साधना करते हुए इसी जीवन शैली का शिक्षण पाते हैं।
यज्ञ से प्राणशक्ति का संचार होता है। यज्ञ के प्रभाव से ही शान्तिकुञ्ज के वातावरण में दिव्यता और शांति का अनुभव होता है। एलेन राइट जैसे दिव्य द्रष्टाओं का कथन है कि यहाँ की यज्ञशाला में ऋषिगण एवं देवात्माएँ सूक्ष्म रूप में आकर अपनी यज्ञाहुतियाँ प्रदान करते हुए युग निर्माण आन्दोलन को पुष्ट करती हैं।
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