एक विचार - आत्म निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है
दो सन्दर्भ - राष्ट्र और विश्व की समस्याओं के समाधान खोजना
तीन अभ्यास - युग निर्माण हेतु उपासना, साधना एवं आराधना से श्रेष्ठ युवा का गठन
चार कार्य - सृजनशील युवाओं को खोजें , उनके व्यक्तित्व के निर्माण का प्रशिक्षण,
श्रेष्ठ युवाओं को संघबद्ध करना और चैतन्य राष्ट्र के नव निर्माण में उन्हें नियोजित करना ।