शिक्षण गरिमा संदर्शिका

विद्यालयीन गतिविधियाँ

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विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण और उनके नैतिक विकास के लिए विद्यालयों में कुछ ऐसी पाठ्य सहगामी क्रियाएँ कराई जाय जिससे उनमें सृजनात्मक रुचि विकास के साथ बहुआयामी प्रतिभा परिष्कार के अवसर उपलब्ध हो सकें। स्वास्थ्य या किसी भी गुण के विकास के लिए सही दिशा और सतत नियमितता जरूरी होती है। इस प्रयोजन हेतु विद्यालयों में विभिन्न गतिविधियाँ की जानी आवश्यक हैं।
1. संस्कृति मण्डल
संस्कृति मण्डल के उद्देश्य
1. विद्यार्थियों की शैक्षिक प्रतिभा तराशना।
2. सृजनात्मक शक्ति को विकसित करना।
3. नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित करना।
4. स्वास्थ्य- संवर्द्धन, पर्यावरण सुधार तथा स्वावलम्बन मूल्यों में रुचि जागृत करना।
5. रूढ़ियों, कुरीतियों के निवारण एवं व्यसन मुक्ति संकल्पों को जागृत करना।
6. एकता, समता एवं राष्ट्रीय भावना जागृत करना।
2. युग निर्माण स्काउट गाईड
जिन विद्यालयों में यदि पहले से स्काउट गाईड प्रवृत्ति नहीं चल रही हो तो शांतिकुंज हरिद्वार युग निर्माण स्काउट गाईड से सम्बन्धित होकर विद्यालयों में भी युग निर्माण स्काउट गाईड का गठन कर नियमित क्रिया कलाप चलाये जा सकते हैं।
विद्यार्थियों में संस्कृति मण्डल के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विद्यालय में किए जाने वाले कार्य।
(अ) नियमित कार्य
प्रार्थना सभा में जोड़े जाने वाले कार्य- सर्व धर्म प्रार्थना, गायत्री मंत्र का सस्वर पाठ, सत्संकल्प- पाठ, ध्यान- साधना, प्रेरक प्रसंग सुनाना एवं नैतिक मूल्यों पर उद्बोधन आदि
जन्म दिन मनाना- संस्था प्रधान से समय तय कर माह में एक दिन एक कालांश में जन्म दिन मनाया जा सकता है।
न्यूनतम क्रियाएं
1. सामूहिक पवित्रीकरण 2.दीप प्रज्वलन 3.संस्था प्रधान द्वारा जिन छात्रों एवं अध्यापकों का जन्म दिन मनाया जा रहा है उनका तिलक करना 4.जन्म दिन का महत्व बताना (प्राचार्य/ परिजन/ प्रभारी शिक्षक द्वारा) 5.सद्बुद्धि के विकास के लिए सामूहिक रूप से पाँच बार सस्वर गायत्री मंत्र उच्चारण 6.स्वास्थ्य एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए तीन बार महामृत्युंजय मंत्र उच्चारण 7.सद्साहित्य भेंट 8.एक बुराई छोड़ना एवं एक अच्छाई ग्रहरण करना 9.शांति पाठ।
(ब) सामयिक कार्य
ज्ञान दीक्षा समारोह (प्रवेश के समय)
भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में अधिकाधिक छात्रों को प्रवेश दिलाना।
-विद्यालय की चहार दिवारी में वृक्षारोपण करना।
(जुलाई- अगस्त के कार्य हैं)
विद्यालय में स्वच्छता एवं साफ- सफाई अभियान
छात्रों के विदाई समारोह मनाना।
भा. सं. ज्ञान परीक्षा में प्रवीण छात्र तथा प्रतिभावान छात्रों का सम्मान समारोह आयोजित करना (परीक्षा एवं सत्रावसान से पूर्व)
पर्व एवं जयन्तियाँ, निर्धारित तिथियों के अनुसार मनाना।
नोट- (वर्ष भर के लिए इनमें से आवश्यक का चयन कर लेवें।)
(स) सुविधानुसार समय में किए जाने वाले कार्य
विद्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करना
(विभिन्न कैम्पों के साथ भी एक दिन जोड़ा जा सकता है)
स्वास्थ्य जाँच एवं योग शिविर।
स्वालम्बन गोष्ठी/ शिविर।
भाषण, वाद- विवाद, निबंध लेखन, सामान्य ज्ञान, स्मृति विकास प्रतियोगिता आयोजित करना।
कविता सम्मेलन- विशेष पर्वों एवं प्रसंगों पर कविता पाठ प्रतियोगिता कराना।
विद्यालय में सद्वाक्य लेखन, पोस्टर, ध्यान एवं योग के चार्ट उचित स्थान पर लगाना।
2. विद्यालय के बाहर किए जाने वाले कार्य
गाँव/ मोहल्लों में प्रेरक आदर्श वाक्य- दीवार लेखन करना।
सार्वजनिक स्थलों पर सफाई अभियान- श्रमदान आयोजित करना।
गाँव के मन्दिर, चौपाल पर दीप यज्ञ आयोजित करना।
आपदा, दुर्घटना के समय त्वरित सेवाकार्य स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार करना।
नोट :- कई कार्य ऐसे हैं जो अवकाशकालीन समय में भी हो सकते हैं। इनमें से जो विद्यालय में आयोजित नहीं हो सकें, उन्हें गाँव के चौपाल / शक्तिपीठ/ ज्ञानपीठ पर किया जा सकता है। इनके लिए प्रज्ञामण्डल से सहयोग लिया जा सकता है। इन क्रिया कलापों में बुद्धिजीवी- समाज सेवियों को विशिष्ट अथिति रूप में आमन्त्रित किए जाने चाहिए।

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