युग गायन पद्धति

हम गायत्री माँ के बेटे

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टिप्पणी- यह युग परिवर्तन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय है। इसयुग में रहने वाले हर एक विचारशील भावनाशील, प्रतिभावान को युग निर्माण के लिए अपनी छोटी- बड़ी, भूमिका चुननी और निभानी चाहिए। जो व्यक्ति अपने आदर्शों, कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक नहीं होते उन्हें संतों ऋषियों ने मोह निन्द्रा में सोने वाला कहा है। मनुष्य और मनुष्यता का, राष्ट्र और राष्ट्रीयता का गौरव बढ़ाने वाले, जागने वाले और जगाने वाले बनना और बनाना चाहिए। यही प्रेरणा इस गीत में है।

स्थाई- हम गायत्री माँ बेटे, तुम्हें जगाने आये हैं।
जाग उठो भारत के वीरों, तुम्हें जगाने आये हैं॥

जब मनुष्य अज्ञान के अंधेरे में भटकता है तो भेदभाव का भूत उसे पकड़ लेता है। वह अपने आपको श्रेष्ठ और दूसरों को हीन- मानने लगता है और उसी प्रकार का अनगढ़ व्यवहार करने लगता है। जब ज्ञान का प्रकाश उभरता है तो उसी में एकता समता की दृष्टि पैनी होने लगती है। हम उसी समय एकता के रास्ते पर आगे बढ़ें।

अ.1- एक बनेंगे नेक बनेंगे, प्यार बढ़ाने आये हैं।
जाति- पाँति का- ऊँच का, भेद मिटाने आये हैं।
युग निर्माण योजना का संदेश सुनाने आये हैं॥

यह दुनियाँ परिवर्तनशील है। इसमें हर पल बदलाव आता रहता है। किंतु अधिकांश लोगों को अच्छी दिशा में सुधार बदलाव लाना अस्वाभाविक- अव्यवहारिक लगता है। इसी लिए लोग उस दिशा में प्रयास पुरूषार्थ नहीं करते और इच्छित बदलाव हो नहीं पाता। भगवान की योजना उज्जवल भविष्य लाने की है। जो उस दिशा में प्रयास करते हैं उन्हें भगवान के विशेष अनुदान मिलते हैं। आइये हम भी ईश्वर की इस योजना में भागीदार बनें।

अ.2
- हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, यह समझाने आये हैं।
हम बदलेंगे युग बदलेगा, यही बताने आये हैं।
ईश्वर से साझेदारी का न्यौता देने आये हैं॥

जीवन में ईश्वर के साथ साझेदारी का निश्चित सूत्र सही फार्मूला गायत्री महामंत्र में है। गायत्री मंत्र में परमात्मा के सर्वव्यापी और सबका हित करने वाला, न्यायकारी कहा गया है। हम उसके प्रेरणा प्रकाश का वरण करके उसे अपने अंतःकरण में धारण करें, और प्रार्थना करें कि वह हमें अपने नेक रास्ते पर आगे बढ़ाता रहे। सबके लिए सद्बुद्धि, सबके लिए उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करें, उसी हेतु प्रयास करें।

अ.3- गायत्री के महामंत्र की, महिमा गाने आये हैं।
हर मानव में सद्बुद्धि का, दीप जलाने आये हैं।
देव संस्कृति निर्मित करने, नई प्रेरणा लाये हैं॥


समाज में अनाचार, अत्याचार का, कुरीतियों पाखण्डों का बोलबाला इसीलिए हो रहा है कि मनुष्य में दुर्बद्धि घर कर गई है। जैसे- जैसे दुर्बद्धि घटेगी, सद्बुद्धि बढ़ेगी, वैसे- वैसे दुष्कर्म भी घटेगें। कुसंस्कार उखड़ेंगे और शुभ संस्कार जागेंगे। हमें प्रयास करना चाहिए कि हर परिवर्तन में सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना और सत्कर्मों के लिए प्रयास हों। हर परिवार अच्छे नागरिकों की, सज्जनों की पौधशाला बनें, एक मिसाल बनें।

अ.4- अनाचार के अंधकार को, दूर हटाने आये हैं।
कुरीतियों और पाखण्डों को, जड़ से मिटाने आये हैं।
घर- घर में शुभ संस्कारों की पौध लगाने आये हैं॥

अज्ञान ही अंधकार है, सद्ज्ञान ही प्रकाश है। दुर्भाव ही अंधकार है, सद्भाव ही प्रकाश है। जहाँ दुर्भाव कुसंस्कार वाले इकट्ठे होते हैं वहाँ कुरीतियों का संकीर्ण स्वार्थों का अंधकार पनपता है। जहाँ सुविचार सद्भाव वाले नर- नारी इकट्ठे होकर कार्य करते हैं वहाँ नये निर्माण की नई रोशनी फैलती है। युग निर्माण योजना का प्रतीक- ‘लाल मशाल’ ईश्वर की साझेदारी में संगठित भले लोगों की संगठित शक्ति की प्रतीक है। हम भी एक जुट हों- कि ‘लाल मशाल’ बनें उज्जवल भविष्य के सैनिक बनें।

अ.5- नया उजाला नई रोशनी, जग में लेकर आये हैं।
ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल, तुम्हें थमाने आये हैं।
रचना है उज्ज्वल भविष्य, यह याद दिलाने आये हैं॥

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