भारत महान देश है। भारतीय संस्कृति सबसे पुरातन और सबसे समृद्ध
है, यह बात दुनियाँ भर के विद्वान मानते हैं। किन्तु कुछ ऐसी
अनगढ़ हवा चली है कि हमारे ही नौजवानों के मन में न जाने
कैसी आत्महीनता घुसी हुई है कि उन्हें इस गौरव का बोध ही नही होता। एक राष्ट्र कवि ने लिखा है :-
जिसको न निज संस्कृति का, देश का अभिमान है।
वह नर नही, नर पशुनिरा है और मृतक समान है।
हमारी यह मुर्दानगी हटनी चाहिए। हमें अपने राष्ट्र के गौरव का बोध होना ही चाहिए, आइये मिलकर गायें।
स्थाई- हमको अपने भारत की, मिट्टी से अनुपम प्यार है।
अपना तन मन जीवन सब, इस माटी का उपहार है॥
हर देश मे महापुरूष पैदा हुए है। किन्तु राम- कृष्ण जैसे अवतारी भारत छोड़कर और कहीं नही हुए हैं। रामायण और गीता जैसे वेद, उपनिषद् और जैसे अद्भुत ग्रंथों की रचना और कहीं नही हो सकी।
अ.1- इस मिट्टी में जन्म लिया था, दशरथ नन्दन राम ने।
इस धरती पर गीता गाई, यदुकूल भूषण श्याम ने।
इस धरती के आगे मस्तक, झुकता बारम्बार है॥
मध्ययुग मे जब काल का प्रवाह भारत के विपरीत चल रहा था। तब
भी हमारे देश मे पैदा हुए वीरों, संतों, सुधारकों ने अपने अनोखे कीर्तमान
बनाये महान संस्कारों को जीवित रखा। इसी भूमि मे राम- कृष्ण,
मीरा, गाँधी, गौतम ने जन्म लेकर भारत भूमि को गौरवान्वित किया।
अ.2- इस माटी की जौहर गाथा, गाई राजस्थान ने।
इसे बनाया पावन गाँधी, के महान् बलिदान ने।
मीरा के गीतों की इसमें, छिपी हुई झंकार है॥
पौराणिक काल से लेकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम तक यह
भूमि शौर्य, भक्ति, त्याग, साहस, वीरता की भूमि है, महान देश भक्त,
महान भक्ति गाथा रचने वाले, महान त्यागी इसीभूमि में हुए हैं। यहाँ का कण- कण शुभकर्मों की कहानी कह रहा है, और संस्कृति की शान बढ़ाते रहे हैं।
अ.3- इस मिट्टी की शान बढ़ायी, तुलसी, सूर कबीर ने।
अर्जुन, भीष्म, अशोक, प्रतापी, भगतसिंह से वीर ने।
इस धरती के कण- कण में, शुभ कर्मों का संस्कार है॥
हमारे ऋषियों मुनियों ने भारत भूमि को ‘‘र्स्वगादपि गरीयसी’’
स्वर्ग से भी अधिक गरिमा वाली भूमि कहा है। यहाँ कण- कण में
गरिमा बिखरी पड़ी है, इस्लाम के पाबंद श्री इकबाल साहब ने भी यही
गौरव बोध कराते हुए यह शेर लिखा हैः-
पत्थर की मूरतों
को कहता है तू खुदा है।
खाके वतन का मुझको हर जर्रा देवता है॥ चन्दन है इस देश की माटी ........। आइये
हम भी इस गौरव का बोध करें इस माटी से तिलक करें, और इसकी
गरिमा की रक्षा का संकल्प करें और भारतभूमि के सच्चे सपूत बनें।
अ.4- कण- कण मंदिर इस माटी का, कण- कण में भगवान है।
इस मिट्टी का तिलक करो, ये अपना हिन्दुस्तान है।
इस माटी का हर सपूत भारत का पहरेदार है॥