युग गायन पद्धति

नमो आदि प्रज्ञा नमो विश्व माता

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टिप्पणी- प्रज्ञापुत्र वेदमाता, देवमाता एवं विश्वमाता का आदि प्रज्ञा के रूप में नमन करते हैं कि हे माँ हर सांस आपको ही पुकार रही हो, हर प्राणी में आपके ही दर्शन हो रहे हो और आप के ही गुणगान गाते हुए जीवन बीते।

स्थाई- नमो वेदमाता, नमो देवमाता, नमो आदि प्रज्ञा नमो विश्वमाता।
हर श्वाँस में माँ तुमको पुकारूँ, हर जीव में माँ तुमको निहारूँ॥

व्याख्या- हम यज्ञ कर्म में ही लगे रहें, स्वयं बढ़ते हुए दूसरों को सहारा दें। और हर मनुष्य को शांति और संतोष मिलता रहे।

अ.1- शुभ यज्ञमय हो जीवन हमारा, बढ़ें हम स्वयं और को दें सहारा।
रहे हर मनुज शांति संतोष पाता, नमो वेदमाता नमो देवमाता॥

व्याख्या- हमारे हृदयों में यह यथार्थ समा जाये कि जीव न तो कुछ साथ लाता और न ले जाता है। अतः आपको प्रिय लोकहित में ही हम सर्वस्व अर्पण चलें।

अ.2- मनों में रहे माँ यही भाव छाया, न कुछ साथ जाता न कुछ साथ आया।
करें लोकहित वह तुम्हें जो सुहाता, नमो वेदमाता नमो देवमाता॥

व्याख्या- हे सविता देवता! आपके तेज को हम वरण करे सकें और आपकी भक्ति में ही तल्लीन रहें। हे प्रभो! हम सदैव सद्पथ पर चलते रहें।

अ.3
- सविता तुम्हारी महाभर्ग शक्ति, वरण तुम्हारी करें श्रेष्ठ भक्ति।
हमें ले चलें श्रेष्ठ पथ से विधाता, नमो वेदमाता, नमो देवमाता॥

व्याख्या- आत्म चेतना इस प्रकार जागृत हो जाये कि फिर अज्ञान की नींद में न पायें, और सब को भी जगाते रहें और आपके ज्ञान का प्रकाश घर- घर फैलाते रहें।

अ.4- ऐसा जगा दो फिर सो न जाऊँ, जागूँ स्वयं और भी भी जगाऊँ
घर- घर फिरूँ ज्योति तेरी जगाता, नमो वेदमाता, नमो देवमाता॥

नन्हे बच्चों आने वाले

व्याख्या- हे नन्हें बच्चों! तुम भारत का भविष्य हो। तुम अपने आपको ऐसा बनाओ जिससे दुनियाँ को, आने वाले कल को तुम पर नाज हो।

अ.4- नन्हे बच्चों आने वाले कल, की तुम तस्वीर हो।
नाज करेगी दुनियाँ तुम पर, दुनियाँ की तकदीर हो॥

व्याख्या- तुम जिस भी घर में हो उस घर में उजाला फैल जाता है तुम्हारी निर्मल हँसी दुःखी मन को भी सुखी बना देता है। तुमको दुनियाँ की तस्वीर बदलनी है।

अ.5- तुम हो जिस कुटिया के दीपक,जग में उजाला कर दोगे।
भोली भाली मुस्कानों से, सबकी झोली भर दोगे।
बिगड़ी जो तकदीर बदल दे, ऐसी तुम तस्वीर हो॥

व्याख्या- तुम्हारा जन्म रोने- धोने के लिए नहीं, बल्कि हँसी बाँटने, खुशी बाँटने के लिए हुआ है। तुम रूठों को मनाने आये हो रूठना तुम्हें शोभा नहीं देता।

अ.6- नाम न लेना रोने का, रोतों को हँसाने आये हो।
नहीं रूठना कभी किसी से, रूठों को मनाने आये हो।
हँसते चलो जमाने में तुम, चलता हुआ एक तीर हो॥

व्याख्या- देखना एकदिन तुम्हीं ‘सुनीता विलियम्स’ की तरह चाँद पर पहुँच जाओगे। तुम्हारे हाथ में ही दुनियाँ की बागडोर होगी। कोई दुश्मन भी तुम्हारी भावनाओं का जंजीर तोड़ नहीं सकता।

अ.7- एक दिन होगा जमीं आसमाँ, चाँद सितारे हाथों में।
एक दिन होगी बागडोर, इस जग की तुम्हारे हाथों में।
तोड़ सके ना दुश्मन जिसको, ऐसी तुम जंजीर हो॥
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