युग गायन पद्धति

विश्व हमारा धरती अपनी

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व्याख्या- हम सब ही परमात्मा के पुत्र हैं और सारा संसार एवं सारी धरती, हम सबकी ही है। अब ऐसा ही नया संसार एवं नया इन्सान बनायेंगे।

स्थाई- विश्व हमारा धरती अपनी, विश्व पिता के लाल।

नया संसार बसायेंगे, नया इन्सान बनायेंगे॥

ऐसी नवीन सृष्टि पर अनेकों स्वर्ग न्यौछावर कर दिये जायेंगे तथा सूरज भी सोने की वर्षा करेंगे। सबकी ही खुशहाली के लिए हमें विजय अभियान चलाना चाहिए। अब ऐसे ही त्यौहार एवं ऐसे ही इन्सान होंगे।

अ.1- सौ स्वर्ग उतर आयेंगे, सूरज सोना बरसायेंगे
खुशहाली के लिये पहनकर, जीवन की जयमाल॥
नया त्यौहार मनायेंगे॥ नया इन्सान...॥

अब सारी मानवता एक होगी और उसे समता- ममता से सींचेगे और श्रम की साधना की तलवार तथा नैतिकता की ढाल बनकर भूमि का भार उतारने का संघर्ष करेंगे।

अ.2- एक करेंगे मानवता को, सीचेंगे ममता- समता को।
श्रेय साधना की असि लेकर, नैतिकता की ढाल॥
भूमि का भार मिटायेंगे॥ नया इन्सान ...॥

अब सुमति के मंत्र गायत्री से अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगे। प्रेम- भाव से अब निहाल होते जायेंगे। नया विश्वास सब में जागेगा।

अ.3- धारण करके मंत्र सुमति का, अपनायेंगे मार्ग प्रगति का।
प्रेम भाव का विस्तार करेंगे, सबको सदा निहाल।
नया विश्वास जगायेंगे। नया इन्सान...॥

अब सत्यं, शिवम्, सुदरं के स्वर ही आदर्श की दुनियाँ में सुनाई देंगे। यह देश ऋषियों का है। अतः इसके आदर्शों के अनुकूल विश्व परिवार का निर्माण करेंगे।

अ.4- सत्यं शिवं सुन्दरम् के स्वर, गूँजेंगे आदर्श धरा पर।
यह ऋषियों का देश विश्व में, जिसकी नहीं मिसाल॥
नया परिवार बनायेंगे॥ नया इन्सान...॥

हम सब पर परमात्मा की कृपा रहेगी और अज्ञान की छाया समाप्त हो जायेगी। अब देव संस्कृति की पताका लेकर और मानवधर्म की मशाल लेकर, अज्ञान एवं भेदभाव के अंधकार को मार भगायेंगे। नया संसार और नया इन्सान ऐसा ही होगा।

अ.5- परम पिता की छाया होगी, दूर अविद्या माया होगी।
ले संस्कृति की विजय पताका, मानव धर्म मशाल॥
तिमिर को मार भगायेंगे॥ नया इन्सान...॥

अपना गौरव- महत्व समझे। संकीर्णता और भेदभाव के उपर उठे। विश्व पिता के पुत्र सभी भाई बहनों की तरह आगे बढ़ने- बढ़ाने का क्रम अपनाएँ- । प्यार और सुख सौभाग्य से भरा नया संसार बसायें। (स्थाई पुनः दुहराये)
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