व्याख्या- हे धरती पर निवास करने वाले मानव! अब धरती को स्वर्ग बनाना है। यदि स्वर्ग कहीं अन्यत्र है तो उसे धरती पर ही उतार कर लाना है।
स्थाई- ये धरती के रहने वालो, धरती को स्वर्ग बनाना है।
है स्वर्ग यदि कहीं ऊपर तो, उसको इस भू- पर लाना है॥
स्वर्ग वास्तव में धरती पर ही है। अन्यत्र ऊपर- नीचे कहीं नहीं। अतः वह धरती पर ही खोजा जा सकता है। अपने पुरूषार्थ
एवं प्रयत्नों द्वारा स्वर्ग यहीं निर्मित करो। इसी आशा भरे
संदेश को पूरे भू- मण्डल पर फैला दो कि धरती को ही स्वर्ग
बनाना है।
अ.1- है स्वर्ग लोक इस धरती पर, ऊपर अथवा अन्यत्र नहीं।
तुम उसको यहीं तलाश करो, जाओ न ढूँढ़ने और कहीं॥
अपने पुरूषार्थ प्रयत्नों से, कर दो उसका निर्माण यहीं।
यह आशा का संदेश तुम्हें, भू- मण्डल पर फैलाना है॥
यहाँ पिता- पुत्र, पति- पत्नी, भाई- भाई सभी आपस में प्रेमपूर्ण
व्यवहार करने लगें। सास- बहू, देवरानी- जेठानी, ननद- भौजाई भी प्यार
से रहने लगें तो आपस की तकरार समाप्त हो जाये और परिवार ही
स्वर्ग बन जाये।
अ.2- पिता पति- पत्नी भाई, भाई में हो प्यार जहाँ।
देवरानी और जेठानी में हो, प्रेमपूर्ण व्यवहार जहाँ॥
हो सास- बहू भाभी व ननद में, नहीं कभी तकरार जहाँ।
ऐसे परिवार बना करके, घर- घर में स्वर्ग बुलाना है॥
अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़, सबके ही हित में प्रसन्न रहना
सीख लें और दुःख, विघ्न- बाधा सभी को मिलजुल कर हँसते- हँसते
सहना सीख लें और घृणा- द्वेष को त्याग सभी प्रेम की धारा में
बहने लगें और रोना- धोना छोड़ प्यार का संगीत गाने लगें तो यह
धरती स्वर्ग बन जाये।
अ.3- चिन्तायें तजकर लाभ- हानि सब में प्रसन्न रहना सीखो।
दुःख व्यथा विघ्र, बाधा संकट, सबको हँस- हँस सहना सीखो॥
ईर्ष्या व द्वेष को छोड़ प्रेम की धारा में बहना सीखो।
रोने- धोने को छोड़ मधुर संगीत सदा ही गाना है॥
संबंधियों और पड़ोसियों में निष्कपट व्यवहार हो। सबके सुख, दुःख
के साथी बनें। सेवा करें, सज्जन निर्बल भी हो तो सम्मान करें और
दुर्जन बलशाली हो तो भी न डरें। इस तरह सच्चे मनुष्य बन
जायें तो यह धरती स्वर्ग बन जाये।
अ.4- संबंधी मित्र पड़ोसी से निष्कपट मधुर व्यवहार करो।
उनके सुख में तुम सुखी बनो सेवा कर उनके दुःख हरो॥
निर्बल सज्जन से डरो सदा, बलवान दुष्ट से भी न डरो।
सच्चे अर्थो में बन मनुष्य जीवन आदर्श बिताना है॥
जिस गाँव या नगर में वास करो, उसे हर तरह से आदर्श बनाओ।
वहाँ की गंदगी आदि दूर कर उसे स्वच्छ रखें घर- घर में शिक्षा
का प्रचार- प्रसार करें। इस प्रकार इस संसार में अज्ञान, अभाव,
आशक्ति को हटाकर इस धरती को स्वर्ग बना डालें।
अ.5- जिस ग्राम नगर में वास करो, उसको आदर्श बनाओ तुम।
दुर्गन्ध गंदगी दूर हटा विद्या घर- घर फैलाओ तुम॥
अज्ञान हटाकर इस जग का फिर से आलोक जगाना है।
ये धरती के रहने वालो, धरती को स्वर्ग बनाना है॥