योगपूर्णं तपोनिष्ठं वेदमूॄत यशस्विनम्।
गौरवर्णं गुरुश्रेष्ठं भगवत्या सुशोभितम्॥
कारुण्यामृतंसागरं शिष्यभक्तादिसेवितम्।
श्रीरामं सद्गुरुं ध्यायेत् तमाचार्यवरं प्रभुम्॥
भावार्थ - गौरवर्णीय, प्रेम की साकार मूॢत परम पूज्य गुरुदेव वन्दनीया माताजी (माता भगवती देवी) के साथ सुशोभित हैं। गुरुदेव योग की सभी साधनाओं में पूर्ण, वेद की साकार मूॢत, तपोनिष्ठ व तेजस्वी हैं। शिष्य और भक्तों से सेवित गुरुदेव करुणा के अमृत सागर हैं। उन आचार्य श्रेष्ठ श्रीराम का, अपने गुरुदेव का साधक ध्यान करें।
साधक शान्त, एकाग्र भाव से स्थिरासन में मंत्रार्थ को हृदयंगम करते हुए पाठ करे।
॥ श्री सद्गुरु चरण कमलेभ्यो नमः॥