गुरुगीता पाठ विधि

गायत्री जप

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॥ श्रीगुरुगीता न्यासः॥

विनियोग
    ॐ    अस्य    श्री गुरुगीतास्तोत्रमंत्रस्य भगवान् सदाशिवऋषिः। नानाविधानि छन्दासि। श्री सद्गुरुदेव परमात्मा देवता। हं बीजं। सः शक्तिः। क्रों कीलकं। श्री सद्गुरुदेव कृपाप्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः।
करन्यास

  सर्वश्रुतिशिरोरत्नविराजितपदाम्बुजः।
   वेदान्ताम्बुजसूर्यो यस्तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
   अंगुष्ठाभ्यां नमः।
  चैतन्यं शाश्वतं शान्तं व्योमातीतं निरञ्जनम्।
   नादबिन्दु कलातीतं तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
   तर्जनीभ्यां नमः।
  स्थावरं जङ्गमं चैव तथा चैव चराचरम्।
  व्याप्तं येन जगत्सर्वं तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
  मध्यमाभ्यां नमः।

  ज्ञानशक्तिसमारूढस्तत्त्वमालाविभूषितः।
  भुक्तिमुक्तिप्रदाताय तस्मै श्रीगुरवे नमः॥        
  अनामिकाभ्यां नमः।

  अनेकजन्मसंप्राप्त-सर्वकर्मविदाहिने।
  स्वात्मज्ञानप्रभावेण तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
  कनिष्ठिकाभ्यां नमः।

  मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुस्त्री जगद्गुरुः।
  ममात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
  करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

हृदयादिन्यास

सर्वश्रुतिशिरोरत्नविराजितपदाम्बुजः।
वेदान्ताम्बुजसूर्यो यस्तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ हृदयाय नमः।
चैतन्यं शाश्वतं शान्तं व्योमातीतं निरञ्जनम्।
नादबिन्दुकलातीतं तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ शिरसे स्वाहा।
स्थावरं जङ्गमं चैव तथा चैव चराचरम्।
व्याप्तं येन जगत्सर्वं तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ शिखायै वषट्।
ज्ञानशक्तिसमारूढस्तत्त्वमालाविभूषितः।
भुक्तिमुक्तिप्रदाताय तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ कवचाय हुम् ।
अनेकजन्मसंप्राप्त - सर्वकर्मविदाहिने।
स्वात्मज्ञानप्रभावेण तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ नेत्रत्रयाय वौषट्।
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुस्त्री जगद्गुरुः।
ममात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ अस्त्राय फट्।
    (साधक हाथ जोड़कर परमात्मस्वरूप गुरुसत्ता का ध्यान करे।)
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