गुरुगीता पाठ विधि

गायत्री जप

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विनियोग :-
    ॐकारस्य परब्रह्म ऋषिर्दैवी गायत्री छन्दः परमात्मा देवता, तिसृणां महाव्याहृतीनां प्रजापतिऋर्षिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्च्छन्दांस्यग्निवायुसूर्या देवताः तत्सवितुरिति विश्वामित्रऋषिर्गायत्री छन्दः सविता देवता जपे विनियोगः।
कर न्यास :
    ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः।
    ॐ भूः तर्जनीभ्यां नमः।
    ॐ भुवः मध्यमाभ्यां नमः।
    ॐ स्वः अनामिकाभ्यां नमः।
    ॐ भूर्भुवः कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
    ॐ भूर्भुवः स्वः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

हृदयादिन्यास ः-
    ॐ हृदयाय नमः।
    ॐ भूः शिरसे स्वाहा।
        ॐ भुवः शिखायै वषट्।
        ॐ स्वः कवचाय हुम्।
        ॐ भूर्भुवः नेत्राभ्यां वौषट्।
        ॐ भूर्भुवः स्वः अस्त्राय फट्।

ध्यानम् ः-
    ॐ आयातु वरदे देवि! त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि।
    गायत्रिच्छन्दसां मातः ब्रह्मयोने नमोऽस्तु ते॥

मंत्र जप ः-
    ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य
धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
    हाथ जोड़कर आद्यशक्ति का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र के साथ प्रार्थना करें।

विसर्जन प्रार्थना ः-
    ॐ उत्तमे शिखरे देवि भूम्यां पर्वतमूर्धनि।
    ब्राह्मणेभ्यो ह्यनुज्ञाता गच्छ देवि! यथासुखम्॥

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