व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर - 2

अन्य पूरक विषय

<<   |   <   | |   >   |   >>

अन्य पूरक विषय(क) युग निर्माण में युवा शक्ति का सुनियोजन-


१. युग निर्माण अर्थात् आध्यात्मिक आंदोलन-युवाओं की रुचि धार्मिक, आध्यात्मिक आंदोलनों पर नहीं है। चूंकि युवा धर्म और आध्यात्म को एक समझते है तथा वर्तमान धार्मिक क्रियाकलापों को ही वास्तविक धर्म समझते है, अत: इनकी ओर युवाओं की रुचि नहीं रहती। जबकि धर्म और आध्यात्म अलग-अलग है तथा वर्तमान धार्मिक क्रियाकलाप धर्म का बाह्य स्वरुप मात्र है, वह उपासना पद्धति है। वास्तविक धर्म अर्थात् कर्तव्य होता है। उदाहरण- स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी प्रत्येक नागरिक का धर्म था...। अध्यात्म जीवन जीने की कला का नाम है, जीवन के समग्र विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकता है।

२. क्या है व्यवहारिक अध्यात्म एवं क्यों आवश्यक है युवाओं के लिए- हमारे पास शक्ति की तीन मुख्य धाराएँ होती है। भौतिक शक्ति, धन शक्ति तथा विचार शक्ति। आज हम देखते है कि भौतिक शक्ति उदण्डता की ओर, धन की शक्ति व्यसनों की ओर तथा विचार की शक्ति कुचक्रों, घोटालों की ओर जा रही है। इन शक्तियों को यदि भटकने से, गलत रास्ते पर जाने से रोकना हो तो इन चेतना की शक्ति अर्थात् आध्यात्मिक शक्ति का नियंत्रण होना आवश्यक है और यही व्यवहारिक अध्यात्म है।

३.आध्यात्मिक आंदोलनों से युवाओं के कैरियर का क्या होगा?-वर्तमान में युवा पीढ़ी एवं उनके अभिभावकगण कैरियर को लेकर अत्यधिक चिन्तित रहते है। यह कैरियर है क्या? स्थूल संदर्भ में साधन-सामग्री को इच्छित स्थान तक पहुँचाने, ढोने वाले साधन को कैरियर कहते है। दूसरे रुपों में जीवन को भी कैरियर कहा जाता है। लाईफ कैरियर अर्थात जीवन का उद्देश्य।

सामान्य उद्देश्य- अपने आश्रितों के निर्वाह व्यवस्था हेतु सुख सुविधायें जुटाना। यह सामान्य कैरियर हुआ।

विशिष्ट कैरियर-अपने साथ-साथ समाज, राष्ट्र एवं मनुष्यता के के हित साधने के निर्वाह की भी जिम्मेदारी निभाने वाले व्यक्ति का जीवन श्रेष्ठ अर्थात् विशिष्ट कैरियर कहलाता है।

उच्च दक्षता की मशीन-कम इनपुट में अधिक आउटपुट देने वाला होता है। मनुष्य शरीर को भी भगवान ने उच्च दक्षता वाली बनाई है।

४. वर्तमान समय युवाओं के लिए टर्निग प्वाइंट है- अपने कैरियर को उच्च से उच्चतम में ले जाने अर्थात् जीवन लक्ष्य निर्धारण करने का यही सर्वोत्तम समय है। विद्यार्थी ११वीं कक्षा में तय करता है कि उसे इन्जीनियर बनना है कि डॉक्टर या प्रशासनिक अधिकारी। इसी आधार पर वह आगे पढ़ाई के लिए विषय का चयन करता है। ठीक इसी प्रकार युवाओं को जीवन लक्ष्य का निर्धारण करने का यही उपयुक्त अवसर है क्योंकि भौतिक उन्नति के सहारे जीवन का उद्देश्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। जीवन के समग्र प्रगति के लिए भौतिक उन्नति के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति आवश्यक है।

५. दशा और दिशा पर चिन्तन करें- दशा पर सबकी नजर है, दिशा पर किसी का ध्यान नहीं। सर्वविदित है कि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति काफी मजबुत है, परंतु वह अनेक दुर्गुणों से भरा

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118