राजनीति ने आज मानव जीवन के सभी क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया है। इसलिए उसका महत्त्व बहुत हो गया है। प्राचीनकाल में न्याय और व्यवस्था तक ही शासन का हस्तक्षेप होता था, पर अब उसका क्षेत्र बहुत बढ़ गया है और जीवन के हर पहलू को राजनीति प्रभावित करती है। स्वास्थ्य, संस्कृति, भाषा, साहित्य, कला, विज्ञान जैसे जनरुचि के विषय भी अब राजनैतिक प्रभाव क्षेत्र में आते जा रहे हैं। शिक्षा, उत्पादन, श्रम, व्यवसाय, शासन, न्याय, निर्माण, विज्ञान, शिल्प आदि तो पहले से ही उसके नियन्त्रण में पहुँच चुके हैं। धीरे- धीरे जीवन का हर क्षेत्र राजनैतिक प्रभाव के अन्तर्गत आता चला जा रहा है। जहाँ अधिनायकवाद का प्राधान्य है, वहाँ तो जनता को शासनतंत्र की मशीन का एक पुर्जा मात्र बनकर रहना पड़ता है। जानने, सोचने और निष्कर्ष निकालने तक के साधन (अधिकार) लोगों के हाथ में नहीं रहते। प्रचार का सम्पूर्ण उपकरण सरकार के हाथ में रहने से जनमानस को शासन जिधर चाहे उधर मोड़ता, बदलता रहता है। ऐसी दशा में यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि आज राजनीति की, शासनतंत्र की प्रबलता सर्वोपरि बनती चली जा रही है और कल वह समय आयेगा, जब व्यक्ति शासन