गायत्रीपुरश्चरण

योग साधना का स्वरूप

<<   |   <   | |   >   |   >>
आत्मकल्याण की योग साधना के वास्तविक स्वरूप से अपरिचित होने के क कारण लोग उसे कष्ट साध्य मानते हैं और ऐसा सोचते हैं कि इस मार्ग पर चलने से उनकी लौकिक उन्नति में बाधा पड़ेगी पर वास्तविकता यह नहीं है। आध्यात्मिकता के मार्ग को अपना कर साधना पथ पर चलने में केवल परलोक एवं परमार्थ ही नहीं सधता वरन् इस लोक में सुख शान्ति के साधन उपलब्ध होते हैं। योग साधना गृहस्थ में रहते हुए भी सुविधापूर्वक हो सकती है उसके लिए घर त्याग कर विरक्त भ्रमण करना आवश्यक नहीं। साधना से लोक और परलोक दोनों की सफलता मिलती है और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों ही पदार्थ प्राप्त होते हैं। 

साधयेद्या चतुर्वर्गं सैवास्ति ननुसाधना ।।
-मनु

जिससे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों ही सधते हों वही सच्ची साधना है। 
 
लेकिन आज मनुष्य में दूरदर्शिता का अभाव हो रहा है, आज थोड़ी कठिनाई उठाकर भविष्य को उज्ज्वल बनाने पर लोग विश्वास नहीं करते। वे इतना ही चाहते हैं कि आज इसी क्षण हमें अधिकाधिक मौज मजा करने का अवसर मिले। इस आतुरता में वे कर्म- कुकर्म करते हैं और तुच्छ कार्यों को बहुत महत्त्वपूर्ण मानकर उन्हीं में उलझे रहते हैं। मनुष्य के इस मूर्खतापूर्ण भुक्कड़पन पर खेद प्रकट करते हुए अष्टावक्र ऋषि कहते हैं

वुभुक्षुरिह संसारे मुमुक्षुरपि दृश्यते ।। 
भोग मोक्ष निराकांक्षी विरलो हि महाशयः
-अष्टावक्र  

इस संसार में भूखे लोग बहुत हैं, मुमुक्षु भी दिखाई पड़ते हैं। पर योग और मोक्ष की इच्छा छोड़कर परमार्थी लोग संसार में कोई विरले ही दीखते हैं। 
 
योग साधना जो आत्मा का सच्चा कल्याण कर सके गायत्री ही है। इस उपासना से बढ़कर और कोई तप, योग, साधना, ध्यान नहीं है। समस्त प्रकार की योग साधनाओं का आधार गायत्री ही मानी गई है। 
  
गायत्र्येव तपो योगः साधनं ध्यान मुच्यते
सिद्धिनां सामता माता नात्ः किंचिद् वृहत्तरम्
गायत्री साधना लोक न करयापि कदापि हि ।।
याति निष्फलता मेतत् ध्रुवं सत्यं हि भूतले ।।
योगिकानां समस्तानां साधनानां तु वरानने
-गायत्री मञ्जरी

गायत्री ही तप है, साधन है, योग है, ध्यान है, यह ही सिद्धियों की माता मानी गई है। इससे बढ़कर श्रेष्ठ तत्त्व इस संसार में और कोई नहीं है। कभी किसी की गायत्री साधना निष्फल नहीं जाती है। समस्त योग साधनाओं का आधार गायत्री ही है।

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118