इन दिनों भी महाकाल प्रतिभाओं को युग- नेतृत्व के लिए पुकार रहा
है। सुयोग एवं सौभाग्य का अनुपम अवसर सामने है। वासना, तृष्णा एवं
अहंता के कुचक्र को तोड़कर जो योद्धा- सृजन सैनिक आगे बढ़ेंगे, वे
दिव्य अनुदानों के भागीदार बनेंगे। जो उनसे चिपके रहने का
प्रयास करेंगे, वे दुहरी हानि उठायेंगे। महाकाल उन कुचक्रों को
अपने भीषण प्रहार से तोड़ेगा, तब उससे चिपके रहने वालों पर क्या बीतेगी, सम्भवतः इसका अनुमान भी कोई लगा न पाये।
अच्छा हो लोग विवेक की बात स्वीकार करें, भीषण पश्चाताप और पीड़ा से बचें, अनुपम सौभाग्य, सुयश के भागीदार बनें।
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य