आसन, प्राणायाम, बन्ध मुद्रा पंचकोश ध्यान

आसन, प्राणायाम, बन्ध, आहार

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आसन, प्राणायाम, बन्ध, आहार

अनिद्रा- शवासन, शशांकासन, ताड़ासनभ्रामरी प्राणायाम, त्राटक।

अण्डकोष वृद्धि- प्रज्ञायोग, सर्वांगासन, गरुडासन। वज्रासन में अधिक बैठें। भ्रामरी प्राणायाम। अश्विनी मुद्रा, मूलबन्धकब्जियत से बचें।

उच्चरक्त चाप- सिद्धासन। शीतली, भ्रामरी, उज्जायी प्राणायाम। मांसाहार, मसालेयुक्त भोजन न करें।

एकाग्रता- कपालभाति, नाड़ीशोधन, भ्रामरी, भस्रिका प्राणायाम।
 
एसीडीटी- वज्रासन, शवासन। नाड़ीशोधन, भ्रामरी, शीतकारी प्राणायाम। हरी साग सब्जी, मौसमी फल, पानी अधिक पियें।

कब्ज- प्रज्ञायोग, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानपादासन, सर्वांगासन, भोजन के बाद १० मिनट वज्रासन में अवश्य बैठें। नाड़ीशोधन, शीतकारी प्राणायाम। उड्डियान बन्ध। ताजे फल, शाक सब्जी, अधिक मात्रा में पानी पियें।

कमर दर्द- भुजंगासन, ताड़ासन, मकरासन, वज्रासन। उज्जायी, भ्रामरी, नाड़ीशोधन प्राणायाम। शाकाहारी, अधिक मात्रा में पानी पियें।

किडनी- प्रज्ञायोग, भुजंगासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासनभस्रिका, कपालभाति प्राणायाम। उड्डियान बन्ध। मांसाहार न करें। नमक कम मात्रा में खायें। पानी अधिक पियें।

कैंसर- प्रज्ञायोग, वज्रासन। भ्रामरी, नाड़ीशोधन प्राणायाम। आहर डॉक्टर की सलाह से।

क्रोध- पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, योगमुद्रानाड़ीशोधन, भ्रामरी, शीतली, उज्जायी प्राणायाम। मूलबन्ध। शिथिलीकरण, अन्तर्मौन, शाकाहारी।

चर्म रोग- प्रज्ञायोग, सर्वांगासन। सभी प्राणायाम। मांसाहार, तेल, मसालेदार, काफी, चाय, मिठाई आदि वर्जित।

चिन्ता- प्रज्ञायोग, भुजंगासन, सर्वांगासन। कपालभाति, नाड़ीशोधन, भ्रामरी, शीतली प्राणायाम। शाकाहारी।

छाती में दर्द- शवासन। नाड़ीशोधन, भ्रामरी, उज्जायी प्राणायाम। शिथिलीकरण। शाकाहारी भोजन अल्प मात्रा में लें।

डिप्रेशन- प्रज्ञायोग, उष्ट्रासन। भस्रिका, कपालभाति प्राणायाम। शाकाहारी
दस्त- शवासन। भ्रामरी, शीतली प्राणायाम।

दमा- प्रज्ञायोग, सर्वांगासन, भुजंगासन। नाड़ीशोधन, भस्रिका, कपालभाति प्राणायाम। कफ बनाने वाले पदार्थ न लें।

दस्त- शवासन। भ्रामरी, शीतली प्राणायाम।

नपुंसकता- प्रज्ञायोग, सर्वांगासन, भुजंगासन। नाड़ीशोधन, भस्रिका प्राणायाम। मूलबन्ध, अश्विनी मुद्रा।

निम्र रक्तचाप- प्रज्ञायोग। भस्रिका, कपालभाति,नाड़ीशोधन प्राणा.। उड्डियान बन्ध
पाचन- उत्तानपादासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन, हलासन। भस्रिका, कपालभाति, नाड़ीशोधन प्राणायाम। उड्डियान बन्ध। हरी साग- सब्जी, मौसमी फल, पानी अधिक पियें।

बवासीर- सर्वांगासन, भुजंगासन, शशांकासन, पश्चिमोत्तानासननाड़ीशोधन, भ्रामरी प्राणायाम। अश्विनी मुद्रा, मूलबन्ध। हलका सुपाच्य शाकाहारी भोजन, मांसाहार, तेल- मसाले वर्जित। अधिक मात्रा में पानी पियें।

बहरापन- पीछे झुकने वाले सभी आसन। नाड़ीशोधन, भ्रामरी प्राणायाम।

मधुमेह- प्रज्ञायोग, सर्वांगासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन। नाड़ीशोधन, भस्रिका प्राणायाम। आहार चिकित्सक की सलाह से लें। प्रातः टहलें
मासिक स्राव- प्रज्ञायोग, भुजंगासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, सर्वांगासन। नाड़ीशोधन प्राणायाम। अश्विनी मुद्रा, उड्डियान, मूलबन्ध
शाकाहारी, सलाद लें।

मोटापा- प्रज्ञायोग। भस्रिका, नाड़ीशोधन प्राणायाम। तेल- घी वर्जित, शाकाहारी। साप्ताहिक उपवास करें।
वातरोग (आर्थराइटिस)- वज्रासन। नाड़ीशोधन, भ्रामरी प्राणायाम। शाकाहारी भोजन।

स्लिप डिस्क- मकरासन का अभ्यास देर तक करें, शलभासन। भ्रामरी, शीतली, नाड़ीशोधन प्राणायाम।

सर्दी- प्रज्ञायोग, वज्रासन। भस्रिका, कपालभाति प्राणायाम। कफ कारक पदार्थ न लें। दूध से बने पदार्थ भी न खायें।

सिर दर्द- सर्वांगासन, शवासन, ताड़ासन, वज्रासन। नाड़ीशोधन,भ्रामरी, शीतकारी

हकलाना- भ्रामरी, शीतली प्राणायाम।


विशेष ज्ञातव्यः- १. आसन, प्राणायाम के साथ हस्त मुद्राओं को भी जोड़ लिया जाए, तो ये अधिक प्रभावशाली सिद्ध होते हैं। २. आसनों को उपासना के पश्चात् ही करना चाहिए। जिससे रक्त की गति तीव्र हो जाने से उत्पन्न हुई चित्त की चंचलता ध्यान में बाधक न हों। ३. अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए व्यक्ति विशेष की आवश्यकता के अनुरूप संतुलित कार्यक्रम का नियमित अभ्यास करने का सुझाव दिया जाता है।

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