सद्विचारों की सृजनात्मक शक्ति

मानव जीवन विचारों का प्रतिबिम्ब मनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिम्ब है। सफलता- असफलता, उन्नति- अवनति, तुच्छता- महानता, सुख- दुःख, शांति- अशांति आदि सभी पहलू मनुष्य के विचारों पर निर्भर करते हैं। किसी भी व्यक्ति के विचार जानकर उसके जीवन का नक्शा सहज ही मालूम किया जा सकता है। मनुष्य को कायर- वीर, स्वस्थ- अस्वस्थ, प्रसन्न- अप्रसन्न कुछ भी बनाने में उसके विचारों का महत्त्वपूर्ण हाथ होता है। तात्पर्य यह है कि अपने विचारों के अनुरूप ही मनुष्य का जीवन बनता- बिगड़ता है। अच्छे विचार उसे उन्नत बनायेंगे तो हीन विचार मनुष्य को गिराएँगे। स्वामी रामतीर्थ ने कहा है- ‘‘मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही उसका जीवन बनता है।’’ स्वामी विवेकानन्द ने कहा था- ‘‘स्वर्ग और नरक कहीं अन्यत्र नहीं, इनका निवास हमारे विचारों में ही है।’’ भगवान् बुद्ध ने अपने शिष्यों को उपदेश देते हुए कहा था- ‘‘भिक्षुओ! वर्तमान में हम जो कुछ हैं अपने विचारों के ही कारण और भविष्य में जो कुछ भी बनेंगे वह भी अपने विचारों के कारण।’’ शेक्सपीयर ने लिखा है- ‘‘कोई वस्तु अच्छी या बुरी नहीं है। अच्छाई- बुराई का आधार हमारे विचार ही हैं।’’ ईसामसीह ने कहा था- ‘‘मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही वह बन जाता है।’’

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