संस्कृति की सीता की वापसी

देवताओं का स्वभाव और सहयोग

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मित्रो! देवता हमेशा फूल बरसाते हैं और हमेशा बरसायेंगे, लेकिन उनके ऊपर बरसायेंगे, जो कोई ऊँचा उद्देश्य लेकर के चलेंगे। जो कोई ऊँचा मकसद लेकर के चलेंगे। जो कोई ऐसा काम लेकर के चले हैं, जिससे कि विश्वहित जुड़ा हुआ हो, जिससे किन्हीं सिद्धान्तों का परिपालन होता हो, किन्हीं आदर्शों का परिपालन होता हो, उनके लिए देवता की सहायता सुरक्षित है। लेकिन उनके लिए सुरक्षित नहीं है, जो कर्महीन, कर्म से भागने वाले, परिश्रम से जी चुराने वाले, हराम में देवताओं की कृपा माँगने वाले हैं। देवताओं के दरवाजे इनके लिए बन्द हैं। देवता उनकी सहायता करेंगे? नहीं करेंगे। किनकी? जो देवता को अनैतिक बनाता है, जो देवता को अंधेरगर्दी का माध्यम बनाता है। नीति और मर्यादा को तोड़ देने वाला बनाता है। आपने तो सारी मर्यादाएँ तोड़ डालीं, नीतियाँ तोड़ डालीं, अब क्या देवता को भी अपने जैसा बनायेंगे?     

आप देवता जैसे नहीं बन सकते, तो कम से कम इतनी कृपा कीजिए कि देवता को अपने जैसा मत बनाइये। देवता को अपने जैसा घिनौना मत बनाइये, जो अकर्मण्य लोगों की, स्वार्थी लोगों की, चालाक लोगों की, बेईमान लोगों की, बदमाश लोगों की सहायता करे। यह तो मत कीजिए। देवता की इज्जत की रखवाली तो कीजिए। देवता को तो बेइज्जत मत कीजिए। देवता को तो चरित्रवान रहने दीजिए। देवता को तो विवेकशील रहने दीजिए।     

मित्रो! हमको और आपको क्या करना पड़ेगा? यदि देवता के प्रति वास्तव में प्यार है, तो हमें देवता के मार्ग पर चलना पड़ेगा। देवता के मार्ग पर चलना किसे कहते हैं? इसके लिए ही मैं आपसे निवेदन कर रहा था कि संस्कृति की सीता को वापस लाने के लिए रामचन्द्र जी ने अवतार लिया था। जब दुनिया से पाप का हरण करने के लिए उनने अवतार लिया था, तो देवताओं ने कहा था कि भगवान् जी आप चलते हैं? हाँ साहब! अब आप अवतार लेंगे? हाँ साहब! अवतार लेंगे, तो आप अकेले काम नहीं कर सकेंगे? अकेला काम क्यों नहीं कर सकता? ‘अकेला चना भाड़ को नहीं फोड़ सकता।’ आप अकेले पुल नहीं बना पायेंगे। आप अकेले पहाड़ नहीं उखाड़ पायेंगे। आप अकेले इतने राक्षसों से नहीं लड़ पायेंगे। इसलिए सहायकों की जरूरत है। बेशक उनके साथ सहायक आये थे। कौन- कौन आये थे? देवताओं ने कहा कि आपके साथ- साथ में मनुष्यों के रूप में, रीछ- वानरों के वेष में हम जायेंगे, जन्म लेंगे।
    
आज का मनुष्य तो बड़ा चालाक है। उसका सारे का सारा दायरा ऐसे बदमाशों से भरा पड़ा है कि जब हम कुछ अच्छा काम करने लगेंगे, तो हमारी अक्ल खराब करने के लिए हजार आदमी आ जायेंगे। हमारी औरत आ जायेगी, हमारा बाप आ जायेगा, हमारा भाई आ जायेगा, हमारे मोहल्ले वाले आ जायेंगे, हमारे रिश्तेदार आ जायेंगे। हमारा साला आ जायेगा, सब आ जायेंगे और कहेंगे कि अच्छा काम मत कीजिए। त्याग- बलिदान की बात मत सोचिए। माल मारने की बात सोचिए। डाका डालने की बात सोचिए। हर आदमी की एक ही सलाह रहेगी, दूसरी सलाह मिलेगी नहीं, जिससे कि शायद हमारा ईमान खराब हो जाये। इसलिए हम आपके साथ चलेंगे।    

देवताओं ने क्या किया? सारे के सारे देवता रीछ और वानरों के रूप में जन्म लेकर धरती पर आ गये। उन्होंने वह काम किया था, जो देवताओं को करना चाहिए। किन- किनने किया था? रीछों ने किया था, वानरों ने किया था। देवता भी बार- बार अवतार लेते रहे हैं। वे दुनिया में किस काम के लिए अवतार लेते रहे हैं? देवता दुनिया में किस काम के लिए आते रहे हैं? वे केवल एक काम के लिए आते हैं — श्रेष्ठ कामों के लिए सहायता करने के लिए।

देवता श्रीकृष्ण भगवान् के जमाने में भी आये थे। कौन- कौन आये थे? पाण्डव कौन थे? पाण्डव मनुष्य थे? नहीं मनुष्य नहीं थे? कुन्ती से पूछो कौन थे? भगवान् श्रीकृष्ण जब आये थे, तो उन्हें देवताओं की सहकारिता की जरूरत पड़ी थी, तो देवताओं ने जन्म लिया था। पाँच पाण्डव कौन थे? देख, उनमें से एक धर्मराज का बेटा था, एक इन्द्र का बेटा था, एक पवन का बेटा था। दो अश्विनीकुमारों के बेटे थे। सब देवताओं के बेटे थे। तो क्या किया उन्होंने? माल मारा? मकान बनाए? जायदाद बनायी? औरतों के लिए सोने के जेवर बनाये? क्यों साहब! जो देवता जितना बड़ा मालदार, वह उतना ही बड़ा भाग्यवान होता है? भगवान् जिसको जितनी दौलत दे, वह उतना ही भाग्यवान होता है। नहीं बेटे, आध्यात्मिक दृष्टि से वह भाग्यवान नहीं होता। आध्यात्मिक दृष्टि से भाग्यवान वह होता है कि जिसने जितना त्याग करके दिखाया है। जिसने जितना साहस करके दिखाया है।
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