संस्कृति की सीता की वापसी

चरित्र से होगा लोक शिक्षण

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क्या करना पड़ेगा? बेटे, फिर आपको वहाँ से वापस चलना पड़ेगा, जहाँ कि हमारी संत परम्परा के अनुरूप हम घर- घर जायें और जन- जागरण का शंख बजाये और कायाकल्प करने में समर्थ हो जायें। यह हमारा लम्बा वाला प्लान है। लम्बे वाले प्लान के लिए क्या करना पड़ेगा? जलता हुआ दीपक जहाँ भी जायेगा, वहाँ प्रकाश पैदा करेगा। जिसके पास व्यक्तित्व है, ऐसा व्यक्तित्व सम्पन्न व्यक्ति जहाँ भी जायेगा, दूसरे व्यक्तियों को ठीक कर सकता है। व्यक्तित्व वाला व्यक्तित्व को ठीक कर सकता है। नहीं साहब, हमें तो बोलना सिखाइये? हम आपको बोलना सिखायेंगे। कैसे सिखायेंगे? एक बार एक घर में चोर घुस गया। घर वाले चिल्ला रहे थे कि घर में चोर आ गये। गाँव वाले, मोहल्ले वाले दौड़कर आ गये। कहाँ गया चोर? चोर ने देखा कि यह तो बड़ी संख्या आ गयी। अब क्या करना चाहिए? घर वाले चिल्ला रहे थे कि चोर को पकड़ो। चोर भी चिल्लाने लगा कि चोर को पकड़ो। देखो वह गया, इधर गया। भीड़ भागती रही और चोर भी उन्हीं के बीच भागता रहा और चिल्लाता रहा।   

इसका क्या मतलब है? बेटे, जब घर का मालिक कहे कि चोर को पकड़ो, तब आप भी कहिए कि चोर को पकड़ो। चोर कौन है? मालूम नहीं कौन है? अनैतिकता को भगाओ, पाप को भगाओ, परन्तु भगायेगा कौन? दुनिया ने पाप को भगाया, पर वही चोर वाली बात सामने है। क्या करना पड़ेगा? हममें से जो भी आदमी इस मार्ग पर आयेगा, अपना चरित्र लेकर के आयेगा। लोक शिक्षण कैसे हो सकता है? चरित्र से। वाणी हो, चाहे न हो, आप गूँगे (मौन) हों, तो कोई हर्ज की बात नहीं। पाण्डिचेरी के अरविन्द घोष गूँगे (मौन) हो गये थे। उन्होंने जीभ से बोलना बन्द कर दिया था। महर्षि रमण गूँगे हो गये थे। उन्होंने भी बोलना बन्द कर दिया था? बिना बोले भी आप हवा को ठीक कर सकते हैं।    

आपको बहुत बोलना आता है, पर आप हैं क्या? हमको यह बताइये? असल में प्रभाव आपके व्यक्तित्व का पड़ेगा। जिस काम के लिए हम आपको भेजना चाहते हैं, वह आपका व्यक्तित्व और चरित्र करेगा और कोई चीज नहीं कर सकती। वेश्याएँ अपने जीवन में हजारों आदमियों को भड़ुवा बना देती हैं। शराबी अपने जीवन में सैकड़ों शराबी पैदा कर लेते हैं। जुआरी अपने जीवन में नौ सौ नये जुआरी पैदा कर लेते हैं। क्योंकि उनका चरित्र, उनका बोलना, उनका वचन और कर्म दोनों मिले हुए हैं और आप अपनी जिन्दगी में एक सन्त पैदा न कर सके, एक भला आदमी पैदा न कर सके। एक सज्जन पैदा न कर सके, एक राम- भक्त पैदा न कर सके। क्यों? इसलिए कि आपके चरित्र और आपकी वाणी में तालमेल नहीं है। आपका चरित्र अलग है और वाणी अलग है। तो कैसे असर पड़ेगा? नहीं साहब! असर पड़ेगा।
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