संस्कृति की अवज्ञा महँगी पड़ेगी

पारिवारिक जीवन नीरस—तहस-नहस

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>
आज गृहस्थ जीवन में क्या हो रहा है? माँ बाप किसे कहते हैं? माँ बाप उसे कहते हैं, जब तक कि लड़का नाबालिग रहता हैं और जब तक वह जिसके सहारे रहता है, उसका नाम होता है माँ बाप! जब वह बड़ा हो जाता है तब? तब माँ बाप का बेटे से कोई ताल्लुक नहीं है और बेटे का माँ बाप से कोई ताल्लुक नहीं है। जानवरों में जब तक बच्चा छोटा होता है, उसकी माँ उसका ध्यान रखती है और जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो सींग मार देती है। नहीं साहब! बड़े बच्चे से भी मोहब्बत होनी चाहिए। क्यों? बड़े बच्चे से क्यों होनी चाहिए? छोटे बच्चे को तो नेचर चाहती है कि उसका कोई गार्जियन होना चाहिए। नेचर के दबाव से क्या चिड़िया, क्या मेंढक, क्या औरत, क्या मर्द-सब दबाव मानते हैं और जैसे ही बच्चा बड़ा हुआ, मोहब्बत खत्म हो जाती है और बच्चे भाग जाते हैं। आज यही हो रहा है।


मित्रो! आप संस्कृति को खत्म कर रहे हैं या करना चाहते हैं। संस्कृति खत्म होगी तो हमारा पारिवारिक जीवन तहस-नहस हो जाएगा। अगर हमारा बुद्धिवाद जिंदा रहेगा और हमारा अर्थशास्त्र जिंदा रहेगा तो फिर क्या होगा? अर्थशास्त्र के हिसाब से हमने, आपने, हरेक ने स्वीकार कर लिया है कि बुड्ढे बैल को कसाई के यहाँ जाना चाहिए; क्योंकि बुड्ढे बैल को रोटी नहीं खिलाई जा सकती। दुनिया के निन्यानवे फीसदी जानवर कसाई के यहाँ चले जाते हैं। दूध देने वाले हों, चाहे हल में चलने वाले हों, दोनों का अंत क्या होगा? भाई साहब! दोनों का अंत कसाई के यहाँ होगा। नहीं साहब! खूँटे पर बाँधकर खिला दीजिए। नहीं, खूँटे पर बाँधकर खिलाने से हमारी जगह घिरेगी और चारा खराब होगा। फिर नए जानवर हम कहाँ से पालेंगे? इनको हम भूसा कहाँ से खिलाएँगे? इनकी एक ही रेमिडी है कि इन बुड्ढे जानवरों को, चाहे वे गाय हों, चाहे वे बैल हों, दोनों को ही कसाई के यहाँ जाना चाहिए। आजकल बिलकुल यही हो रहा है। बूढ़े होने पर निन्यानवे फीसदी जानवर कसाई के यहाँ जाते हैं। एक प्रतिशत अपनी मौत मरते हों, तो बात अलग है।
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118