मित्रो! अभी मैं आपसे विज्ञान की बातें कह रहा था, नास्तिकतावादी दर्शन की बात कह रहा था, लंका की बात कह रहा था। आपको तो मालूम नहीं है। आप तो हमारे संपर्क में रहे हैं, उनके संपर्क में थोड़े ही रहे हैं! आप कम्युनिस्टों के संपर्क में नहीं रहे हैं। आप बुद्धिजीवियों के संपर्क में नहीं रहे हैं। आप कॉलेज में पड़े नहीं हैं। कॉलेज में पढ़े होते तो जिस बात का हवाला मैं अभी दे रहा था, इसको बढ़ा-चढ़ाकर आप कहते और आपका मखौल उड़ाया जाता। आज बेटे! हमारी संस्कृति लंका में जा रही है। अब उसको वापस लाने के लिए क्या करना पड़ेगा? अगर संस्कृति वापस न आ सकी तो दुनिया तहस-नहस हो जाएगी, दुनिया मिट जाएगी। दुनिया जिंदा न रह सकेगी। परलोक खराब हो जाएगा, स्वर्ग नहीं मिलेगा। मुक्ति नहीं मिलेगी। बेटे! इन बेकार की बातों को जाने दीजिए। स्वर्ग की, मुक्ति की, परलोक की, चमत्कार की बातें मैं नहीं कहता, मैं तो इनसानी जीवन की बात कहता हूँ। इस संसार की बात कहता हूँ। अगर हमारी संस्कृति और धर्म, जिसको हम आस्तिकता कहते हैं, जिंदा नहीं रही तो दुनिया तबाह हो जाएगी। हमारे गृहस्थ जीवन का सफाया हो जाएगा। पारिवारिक जीवन ऐसे खत्म हो जाएगा, जैसे कि जानवरों में खत्म हो गया है। कुत्ते का कोई कुटुंब होता है? कोई कुटुंब नहीं होता। कुत्ते की कोई औरत होती है? कोई नहीं होती। कुत्ते का कोई बाप होता है? कोई नहीं होता। कुत्ता क्या होता है? कुत्ता अकेला होता है।
मित्रो! इसी तरीके से इनसान को क्या करना पड़ेगा? कुत्ते के तरीके से अकेले रहना पड़ेगा। और औरत क्या होती है? अरे साहब! धर्मपत्नी को कहते हैं, जिसके साथ शादी होती है। शादी किसे कहते हैं? मौसम को शादी कहते हैं। एक साल एक बीबी से शादी की, अगले साल उसे भगा दिया। दूसरे साल दूसरी शादी कर ली। तब आप कितने साल तक जवान रहेंगे? हम पचास साल तक जवान रहेंगे और कोशिश करेंगे पचास औरतें आ जाएँ। हर साल एक नई आ जाए और दूसरी चली जाए। बेटे! यूरोप में यही हो रहा है। अब स्त्रियाँ भी इसी तरह करेंगी। जो बातें मर्दों पर लागू होती हैं, वही बातें औरतों पर भी लागू होती हैं। कोई दाम्पत्य जीवन नहीं है। यह महीने भर पीछे बदल सकता है, दो महीने पीछे बदल सकता है। आज शादी-ब्याह हुआ है, कल तक यह चलेगा कि नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। आज सारे यूरोप में यही हो रहा है।