संस्कृति की सीता की वापसी

परिव्राजक बनें-स्तर सुधारें

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इसलिए मित्रो! इस समय हम नया प्रयोग आरम्भ करते हैं, क्योंकि इस समय हमको बहुत जल्दी पड़ी हुई है। क्या जल्दी पड़ी हुई है? जिस तरीके से जब युद्ध होता है, तो जवान आदमी मारे जाते हैं और स्कूलों से अठारह वर्ष से अधिक उम्र के सब बच्चे भर्ती कर लिए जाते हैं। उनको पन्द्रह- पन्द्रह दिन में निशाना लगाना सिखाकर मिलेट्री में भेज दिया जाता है कि जाइये दुश्मन का मुकाबला कीजिए। मोर्चे पर ऐसे ही भेज देते हैं। बेटे फिलहाल हम भी यही कर रहे हैं। आपका शिक्षण नहीं हुआ, आपको तपाया नहीं गया, आपको मजबूत नहीं बनाया गया, इसलिए आपको काम भी उसी स्तर का सौंपते हैं। नहीं साहब! कठिन काम सौंप दीजिए? नहीं बेटे, कठिन काम आप नहीं कर पायेंगे।    

कठिन काम करने के लिए कुमारजीव के तरीके से वहाँ भेज दें। कहाँ? चाइना, तो आप रोकर के भागेंगे। नहीं साहब! हमें नेता बना करके भेज दीजिए। नहीं बेटे, हम नेता बनाकर किसी को नहीं भेजते हैं। हम परिव्राजक भेजते हैं और भविष्य में हमारे प्रत्येक कार्यकर्ता को परिव्राजक होना पड़ेगा। हरेक को हम परिव्राजक बनायेंगे। मिलेट्री में जो व्यक्ति काम करते हैं, वे सभी ‘मिलेट्रीमेन’ होते हैं। उसमें जो इञ्जीनियर होता है, वह भी मिलेट्रीमेन होता है। हर आदमी को बन्दूक चलानी पड़ती है। हर आदमी को मिलेट्री के कपड़े पहनने पड़ते हैं। हर आदमी को लेफ्ट- राइट करना पड़ता है। आपमें से हर आदमी आज से परिव्राजक है।   

नहीं साहब ! हम तो वक्ता हैं। आप वक्ता नहीं हैं। आप पहले परिव्राजक हैं। जरूरत पड़ी तो हम आपको वक्ता भी बना सकते हैं, लेकिन अगर जरूरत नहीं पड़ी तो आपको वही परिव्राजक की भूमिका निभानी पड़ेगी। बेटे, अगले दिनों के लिए हमारे लम्बे- चौड़े ख्वाब हैं। इस समय वर्तमान के काम बताइए? वर्तमान में तो छोटा- सा काम है। अभी फिलहाल हम आपको पन्द्रह- पन्द्रह दिनों के लिए छोटी सी ट्रेनिंग दे करके भेजते हैं, ताकि देखें कि आप कुछ करने की स्थिति में हैं कि नहीं? नहीं साहब! ज्यादा समय के लिए भेज दीजिए। ज्यादा समय के लिए नहीं भेजेंगे। ज्यादा समय के लिए भेजेंगे, तो तेरी पोल खुल जायेगी। पन्द्रह दिन तक तो अपनी भलमनसाहत को छिपाए भी रहेगा, लेकिन ज्यादा दिन रह गया, तो नंगा हो जायेगा और लोग तेरे बाल उखाड़ लेंगे। इसलिए पन्द्रह दिन के लिए ही भेजेंगे।    

वहाँ क्या करना पड़ेगा? यही व्यावहारिक शिक्षण देने के लिए आपको पन्द्रह दिनों के लिए हम भेज रहे हैं, ताकि आप यह जान सकें कि आपको जनसम्पर्क कैसे करना चाहिए? बातचीत कैसी करनी चाहिए? लोगों के सामने कैसे विचार व्यक्त करना चाहिए? लोगों के ऊपर अपने चरित्र की छाप कैसे डालनी चाहिए? लोकसेवी को किस तरीके से बोलना चाहिए? लोकसेवी को किस तरीके से अपना आहार- विहार बनाना चाहिए? लोकसेवी को किस तरीके से अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए? लोकसेवी की दिनचर्या किस तरह की होनी चाहिए? अगर हम आपको बाहर न भेजें, तो यहाँ कैसे सिखा सकते हैं? यहाँ लोकसेवी थोड़े ही रहते हैं? यहाँ तो हम लोग ही रहते हैं, तो हमें क्या सिखायेंगे। बाहर वालों को सिखाने और सीखने के लिए आपको व्यावहारिक क्षेत्र में ही जाना पड़ेगा। पानी में घुसे बिना तैरना नहीं आ सकता। जनता में जाये बिना आप लोकशिक्षण की प्रक्रिया को नहीं सीख सकते। इसलिए आपको पन्द्रह दिन के लिए भेजते हैं।
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