भगवान का काम, घाटे का सौदा नहीं

देवियो, भाइयो! यह समय बहुत ही संकटमय है । हर जगह असुरता छाई हुई है । इस समय ताड़का, भी अपना दिखा कुंभकरण, सुबाहु-सभी अपना तांडव नृत्य दिखा रहे हैं । इस समय महान व्यक्तियों को महान कार्य करना है । हर युग में ऐसे व्यक्तियों ने विशेष काम किया है । बड़े आदमी ही बड़े काम कर सकते हैं । छोटे आदमी छोटे काम कर सकते हैं। बड़े काम करने के लिए आत्मा को जगाना पड़ता है, उसे गरम करना पड़ता है । छोटे आदमी बड़े काम नहीं कर सकते। हाथी जो काम कर सकता है, छोटे जीव-जंतु उसे नहीं कर सकते । सामान्य जीव का केवल उद्देश्य होता है-पेट एवं प्रजनन । परंतु असामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता । उसके अंदर एक हलचल होती है, एक हूक उठती है । समय की पुकार को वह अनसुनी नहीं कर सकता, संकटों से जूझने के लिए उठ खड़ा होता है । महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास पहुँचे । उन्होंने कहा कि यह असामान्य समय है । इन बच्चों का यदि आप भविष्य बनाना चाहते हैं, इन्हें देवता बनाना चाहते हैं, तो इन्हें हमें सौंप दीजिए । दशरथ ने कहा-"जैसा आपका आदेश ।" विश्वामित्र उन बच्चों को ले गए तथा शुरू से अंत तक उन बच्चों ने असामान्य काम किया। असामान्य समय में असामान्य व्यक्ति असामान्य काम करता है । राम तथा लक्ष्मण ने असामान्य जीवन जिया । वे सिद्धांतवादी तथा आदर्शवादी थे । ऐसे ही व्यक्ति समाज को नई दिशा देते हैं तथा लोग उनके बनाए रास्ते पर चलते हैं ।

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