आपसे मैं यह निवेदन कर रहा था कि इस दुनिया में जो सबसे बड़ा देवता दिखाई पड़ता है, उसका नाम माता है ।। " मातृदेवोभव, पितृदेवोभव, आचार्यदेवोभव " माता की बराबरी किसी से भी नहीं की जा सकती है ।। वह नौ महीने बच्चे को अपने पेट में रखती है, अपने रक्त से हमारा पालन- पोषण अपने पेट में करती है |जन्म लेने के बाद अपने लाल खून को सफेद दूध में परिवर्तित करके हमें पिला देती है और हमारे शरीर का पोषण करके हमें बड़ा बना देती है ।। माता का प्यार, दुलार, दूध तथा पोषण जिनको नहीं मिलता है, वह अपूर्ण होता है ।।
एक और माँ है, जिसके बारे में हम नहीं जानते हैं ।। जो शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का पोषण करती है ।। उसका नाम कामधेनु है ।। यह स्वर्ग में रहती है, जिसका दूध पीकर देवता दिव्य बन जाते हैं, सुंदर बन जाते हैं, अजर- अमर बन जाते हैं, दूसरों की सेवा करने में समर्थ होते हैं ।। स्वयं तृप्त रहते हैं ।। सुना है कि कामधेनु स्वर्ग में रहती है ।। स्वर्ग में मैं गया भी नहीं हूँ उसके बावत में कैसे कह सकता हूँ परंतु एक कामधेनु की बावत हम बतलाना चाहते हैं कि जो स्वर्ग में लोगों को फायदा पहुँचा सकती है ।। उसका नाम गायत्री है ।।