आध्यात्मिक कायाकल्प का विधि- विधान-२

मित्रो! कल्प साधना के लिए आप सभी यहाँ शांतिकुंज आए हैं ।। कल्प आखिर है क्या जिसके लिए हमने आपको यहाँ बुलाया है ।। कल्प का अर्थ होता है, परिवर्तन ।। आपको बदलने का हमारा मन है ।। आप यदि अभी तक दुःखी जीवन जीते रहे हैं तो सुखी जीवन जिएँ ।। आप बीमार जीवन जीते रहे हैं तो स्वस्थ जीवन जिएँ ।। आप यदि गुत्थियों से उलझा हुआ जीवन जीते रहे हैं तो अब हँसता- हँसाता जीवन जिएँ ।। यदि घिनौना, कमजोर और उपेक्षित जीवन जीते रहे हैं तो अब ऐसा शानदार जीवन जिएँ कि जिसको देखकर आपका भी जी बाग- बाग हो जाए और जो कोई भी बाहर इसे देख पाए उसकी भी खुशी का ठिकाना न रहे, ऐसा ही आपके जीवन में कायाकल्प करने का हमारा मन था ।। आपने हमारे विचारों को पढ़ा होगा और उसी से प्रभावित होकर यहाँ आए हैं ।। आइए अब विचार करें कि यह कैसे संभव होगा ? इसके लिए क्या करना पड़ेगा ? इन सारे प्रश्नों पर गंभीरता से हम और आप विचार करें ।। आमतौर से कल्प साधना के बारे में यह भ्रम फैला हुआ है कि कल्प माने बूढ़े से जवान हो जाना, पर यह एक भ्रांति है ।। बूढ़े का जवान होना संभव नहीं है, क्योंकि यह प्रकृति के नियमों के विरुद्ध है ।। प्रकृति के नियमों को कोई बदल नहीं सकता ।। सूर्य पूर्व से निकलता है और पश्चिम में डूबता है ।। ऐसा नहीं हो सकता कि सूर्य पश्चिम से निकले और पूर्व में डूबा करे ।। भगवान ने प्रकृति के नियमों को ऐसा बना दिया है कि वे अपने स्थान पर यथावत रहेंगे और जब से बने हैं, तब से और जब तक सृष्टि रहेगी, तब तक बने रहेंगे ।।

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