आस्तिकता का प्राण हैं- श्रद्धा

देवियो, भाइयो! गुरु की महत्ता बहुत बड़ी है । गुरु को ब्रह्मा, विष्णु महेश कहते हुए उन्हें साक्षात परब्रह्म माना गया है । यह गुरु की महान सामर्थ्य का परिचय है । हमारे गुरु बहुत ही सामर्थ्यवान हैं । गायत्री माता के भीतर जो भी सामर्थ्य रही होगी, जो भी चमत्कार रहे होंगे, वह हमारे गुरुदेव के भीतर भी रहे होंगे । इस संबंध में लोगों ने एक बार कहा कि गुरुजी आपके गुरु कोई देवता हों, तो बात अलग है, अन्यथा इनसान का इतना सामर्थ्यवान होना संभव नहीं है । इनसान, इनसान की सीमित सहायता कर सकता है । गुरुजी आप जैसा कहते हैं, वह मुश्किल मालूम पड़ता है । अत: आप ही बतलाइए कि आपके गुरु किस प्रकार से ऐसी सहायता करते हैं ? मित्रो, इस संदर्भ में कइयों ने विश्लेषण करके कहा है कि गुरुजी वह आपकी श्रद्धा का चमत्कार मालूम पड़ता है । हाँ बेटे, श्रद्धा के चमत्कार की वजह से एक पत्थर का टुकड़ा मीरा के लिए गिरधर गोपाल हो गया था । इतना ही नहीं, रामकृष्ण परमहंस की पत्थर की देवी माँ काली बन गई थी । रामकृष्ण की देवी इतनी विशाल हो गई थी कि वह जमीन से लेकर आसमान तक दिखलाई पड़ती थी । उस देवी का चमत्कार आपने विवेकानंद के साथ नहीं देखा, जिसने उन्हें भक्ति और शक्ति दे दी थी ।

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