आत्मविकास के चार चरण

देवियो, भाइयो! भजन-पूजन की बात आप सुन चुके स्वाध्याय और सत्संग की बात भी कर ली । इसके अतिरिक्त पूजापरक-उपासनापरक दो और भी आध्यात्मिक प्रयोग हैं, जो आपको करने ही चाहिए । इनमें से एक का नाम है, "चिंतन" और दूसरे का नाम है, "मनन" । चिंतन और मनन के लिए किसी कर्मकांड की जरूरत नहीं है, किसी पूजा-विधान की जरूरत नहीं है और किसी समय निर्धारण की जरूरत नहीं है । अच्छा तो यह हो कि इन सब कामों के लिए आप सवेरे का समय ही रखें । अध्यात्म साधना के लिए सबसे अच्छा समय प्रातःकाल का ही है । दूसरे कामों के लिए भी प्रातःकाल का ही है, यानी कि चौबीस घंटों में जो सबसे अच्छा समय है, वह प्रातःकाल का ही है । प्रातःकाल के समय को आप जिस भी काम में लगा देंगे, उसी काम में आपको बड़ी प्रसन्नता मिलेगी और सफलता भी मिलेगी ।

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118