देवियो! भाइयो!! जब स्वाति नक्षत्र आया और स्वाति नक्षत्र में वर्षा हुई तो बरसात से सीपों में मोती पैदा हो गए । बाँसों में वंशलोचन पैदा हो गए । सबने खुशियों मनाई, लेकिन बहुतों ने ये शिकायत की कि हमारे अंदर मोती क्यों नहीं पैदा हुए ? थोड़ी सी सीपों के अलावा सभी सीपें इकट्ठी होकर जमा हो गई और शिकायत करने लगीं कि आपने हमारे अंदर मोती क्यों नहीं पैदा किए ? हमारी पुकार को क्यों नहीं सुना ? स्वाति की बूँदों ने जवाब दिया कि आप में से जिन सीपियों ने मुँह खोलकर रखा था और जिन सीपों में मोती पैदा करने की ताकत थी, उनको हमारी सहायता मिली और मोती पैदा हो गए । जिन सीपों की बनावट ऐसी नहीं थी कि उनमें मोती पैदा किए जा सकें और जिन सीपों ने मुँह नहीं खोले, वे खाली हाथ रह गईं और खाली हाथ रहना पड़ेगा । जिन बाँसों के पेड़ों के अंदर सूराख नहीं थे, उनमें वंशलोचन पैदा नहीं हो सका । पेड़ों की शिकायत अपनी जगह पर कायम और स्वाति बूँदों की सफाई अपनी जगह पर कायम । ये शिकायतें तो होती रहेंगी और होती रहनी चाहिए कि हमने भगवान की भक्ति की, पूजा की, उपासना की, जप-अनुष्ठान किए फिर भी हम खाली हाथ रह गए ।