भाइयो, लगभग साठ वर्ष हो गए जब हमारे गुरुदेव घर पर आए थे और उन्होंने कई बातें बताईं ।। शुरू में तो डर जैसा कुछ लगा पर पीछे मालूम पड़ा कि वे पिछले तीन जन्मों से हमारे साथ रहे हैं, तब भय दूर हो गया और बातचीत शुरू हो गई ।। उन्होंने कहा, " अपनी पात्रता को विकसित करने के लिए तुम्हें चौबीस लक्ष के २४ साल तक २४ पुरश्चरण करने चाहिए ।" मैंने उनकी वह आज्ञा शिरोधार्य की और सब नियम, विधि वगैरह मालूम कर लिया कि किस प्रकार जौ की रोटी और छाछ पर रह करके २४ पुरश्चरण पूरे करने पड़ेंगे ।। यह पूरी जानकारी देने के बाद उन्होंने एक और बात कही जो बड़ी महत्त्वपूर्ण है ।। आज उसी के बारे में मैं आपको बताऊँगा ।।
उन्होंने कहा, " गायत्री मंत्र कइयों ने जपे हैं, कई लोग उपासना करते हैं, लेकिन ऋद्धियों और सिद्धियों किसी के पास नहीं आतीं ।। जप कर लेते हैं और लोगों से बता देते हैं कि हमने गायत्री का जप कर लिया है ।।