देवात्मा हिमालय एवं ऋषि परंपरा

देवियो, भाइयो! मुनासिब जगह पर मुनासिब चीज पैदा होती है ।। नागपुर के संतरे अगर आप अपने यहाँ बोना चाहें तो मीठे नहीं होंगे ।। बंबई (मुंबई) वाला केला जो कि वहाँ की जमीन में पैदा होता है, दूसरी जगह नहीं हो सकता ।। लखनऊ का आम सारी दुनिया में मशहूर है ।। अगर वही आम आप अपने गाँव में बोएँ तो उतना मीठा नहीं होगा जैसा कि वहाँ का होता है ।। नीलगिरि का चंदन कितना खुशबूदार होता है ।। यदि उसी चंदन का पेड़ आप ले आवें और अपने गाँव के बगीचे में लगा दें तो इतना खुशबूदार नहीं होगा ।। देवगण जहाँ हिमालय पर रहते हैं, वहाँ एक लंबी वाली शकरकंद जैसा कंद पैदा होता है और वह कई दिन तक खाने के काम आ जाता है ।। उसी शकरकंद का बीज आपको दे दें, तो आप बो लेंगे, नहीं ।। पैदा नहीं होगी ।। ब्रह्मकमल जिसके लिए द्रौपदी ने भीम से आग्रह किया था कि तुम ब्रह्मकमल ला करके दो ।। यह कहाँ पैदा होता है ? यह उत्तराखंड मैं जहाँ गोमुख है, उसके आगे तपोवन के नजदीक पैदा होता है ।। यह ब्रह्मकमल का फूल जमीन पर खिलता है, पानी में नहीं ।। यह अपनी जगह पर होता है ।। आप कहीं से बीज ले आएँ ब्रह्मकमल के अपने घर में बोना चाहें, तो हो सकता है ना, वहाँ नहीं हो सकता ।। जगह की अपनी महत्ता होती है ।।

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