सुभाष ने समाज- सेवा के विविध कार्यों को नियमित रूप से सदैव करते रहने के लिए एक 'युवक- दल' की स्थापना की थी। कुछ समय पश्चात् इस दल ने किसान आंदोलन का कार्य आरंभ कर दिया। यह प्रचार किया जाने लगा कि जमीन किसानों की है। जमींदारी प्रथा वर्तमान समय में अनुपयुक्त और अन्यायपूर्ण है। किसानों को अपनी जमीन में कुआँ खोदने, तालाब बनाने, मकान बनाने, पेड़ लगाने तथा काटने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। इस प्रकार के आंदोलन से कांग्रेस के बडे़ नेताओं को आपस में ही फूट पैदा हो जाने की आशंका हुई, इस कारण उन्होंने इसका विरोध भी किया। परंतु सुभाष बाबू अपनी धुन के पक्के थे, वे अपने मार्ग से नहीं हटे और किसानों के अधिकारों के लिए लगातार चेष्टा करते रहे।
इसी समय 'युवक दल' ने कलकत्ता कॉरपोरेशन के चुनाव में भाग लिया और सुभाषचंद्र बोस बहुमत से उसके सदस्य चुन लिए गये। आपकी योग्यता को देखकर कॉरपोरेशन के एक्जीक्यूटिव अफसर का पद आपको प्रदान किया गया। इस पद का वेतन उस समय तीन हजार रुपया प्रतिमास था, पर आपने केवल डेढ़ हजार लेना ही स्वीकार किया। इस पद का कार्य सँभालने पर आपने ऐसे अनेक युवकों को कॉरपोरेशन के दफ्तर में काम दिया, जो अब तक अपने उग्र राजनीतिक विचारों के कारण सरकार के कोपभाजन का कारण बने रहते थे। आप इस बात का भी सदा ध्यान रखते थे कि टैक्सों का भार गरीबों पर कम पडे़ और उनको किसी प्रकार का कष्ट न हो। आपने नगर की स्वच्छता की तरफ विशेष रूप से ध्यान दिया, कम वेतन पाने वालों को तरक्की दी गई। यद्यपि आपको और भी अनेक कार्यों में थोडा़- बहुत समय लगाना ही पड़ता था, तो भी कॉपोरेशन का प्रबंध इतनी अच्छी तरह किया कि जनता को उनकी योग्यता और कर्मठता का पूरा विश्वास हो गया।