कैसे रखें आँखों को सुरक्षित?

Akhand Jyoti May 2013

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आज के समय में कॉर्पोरेट जगत में, व्यापार में, पढ़ाई में व अन्य कार्यस्थलों पर कंप्यूटर का बहुतायत से प्रयोग किया जा रहा है। आजकल काम भी ऐसे होते हैं, जिनमें लगातार कंप्यूटर पर काम करना पड़ता है, जैसे—रिसर्च करने वालों के लिए लगातार कंप्यूटर पर मैटर सर्च करना व मैटर टाइप करना, एनिमेशन जॉब वालों के लिए उससे लगातार जुटे रहकर प्रोजेक्ट वर्क करना, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी में भी अब फोटो व वीडियो बनाने व एडिटिंग करने के लिए कई-कई घंटे लगातार कंप्यूटर वर्क करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त व्यापार में, शेयर मार्केट आदि में बहुत सारे कार्य कंप्यूटरों के माध्यम से पूरे होते हैं।

कई-कई घंटे बैठकर कार्य करने में व्यक्ति की आँखें और हाथों की मांसपेशियाँ सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इनमें भी आँखों की समस्या प्रमुख है, क्योंकि एक बार यदि आँखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ा तो यह समस्या जीवन भर के लिए हो जाती है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है—आँखों से संबंधित रोग ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ से, जो बढ़ते हुए प्रदूषण, कंप्यूटरों के अत्यधिक प्रयोग, वातानुकूलन की आदत, दरद निवारक दवाओं के प्रयोग, विटामिन-ए की कमी आदि के कारण होती है।

इस रोग में कई बार कारणों का भी पता नहीं चलता। इसमें या तो आँखों में आँसू कम बनने लगते हैं या उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। आँसू, आँख की कोर्निया एवं कंजंक्टाइवा को नम एवं गीला रखकर उसे सूखने से बचाते हैं। व्यक्ति की आँख में टीयर फिल्म पाई जाती है। टीयर फिल्म तीन परतों से मिल कर बनती है। इस फिल्म की सबसे अंदरूनी एवं महीन परत को यूकस लेयर कहते हैं। इसके बीच की परत को एक्वस लेयर कहते हैं। आँसू का मुख्य हिस्सा एक्वस लेयर से बनता है। आँसू पानी, सोडियम क्लोराइड, शुगर एवं प्रोटीन से मिलकर बनते हैं, जिनमें पानी मुख्य रूप से होता है।

आँसू में एन्टीबैक्टीरियल पदार्थ जैसे—लायसो जाइम, लेक्टोफेरिन भी होते हैं, जो संक्रमण से बचाव करते हैं। टीयर फिल्म की सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली लेयर कहते हैं। लिपिड लेयर आँसू के ज्यादा बहने, गरमी एवं हवा में आँसू के उड़ने या सूखने को कम करती है। लिपिड या ऑयली लेयर आँख की पलकों को चिकनाई प्रदान करती है, जिससे व्यक्ति को पलक झपकने में आसानी होती है।

ड्राई आई सिंड्रोम के मुख्य लक्षण हैं—आँख में जलन, चुभन महसूस होना, आँखों में नमी की कमी महसूस होना, खुजली होना, सिर में भारीपन होना, आँख की कंजंक्टाइवा का सूखा दिखाई पड़ना, कभी-कभी कोर्निया का साफ न दीखना, आँख में लाली तथा आँख थोड़ी देर तक खुला रखने में दिक्कत महसूस होना आदि। ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति अपनी पलकों को बार-बार व जोर से झपकते हैं। आँखों से पानी गिरने जैसे लक्षण ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में सामान्यत: देखने को मिलते हैं।

 इससे बचाव के लिए व्यक्ति कंप्यूटर पर कार्य करते समय पलकों को झपकाते रहें। इससे आँखों के आँसू जल्दी सूखते या उड़ते नहीं व टीयर फिल्म कोर्निया एवं कंजंक्टाइवा के ऊपर लगातार बनी रहती है। हर आधा घंटे के बाद एक-दो मिनट के लिए आँखों की नजर कंप्यूटर की स्क्रीन से हटा लें एवं हर एक घंटे के बाद आँखों को पाँच से दस मिनट के लिए आराम दें। कंप्यूटर पर बैठते समय अपनी बैठने की स्थिति आरामदायक रखें। कार्य करते समय अपनी आँखों व हाथों को किसी भी तरह का तनाव नहीं होना चाहिए और कंप्यूटर की रोशनी यदि आँखों में जरा भी चुभती है तो कंप्यूटर पर ऐन्टीरिफ्लेक्टिव कोटिंग कराएँ या ऐन्टीरिफ्लेक्टिव चश्मे का इस्तेमाल करें। तेज हवा, धूप-धूल भरे मौसम में निकलने से पहले अच्छी गुणवत्ता का बिना नंबर का चश्मा पहनें और किसी भी तरह के नशे के सेवन से दूर रहें। इसके अतिरिक्त पानी व पेय पदार्थों को ज्यादा मात्रा में ग्रहण करें। हरी सब्जी व मौसमी फल भी खाएँ। इससे आँखों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-ए की मात्रा मिल जाती है।

मनुष्य की आँखें अनमोल हैं और इनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना हम सभी के जीवन का एक अंग है। यदि हम कंप्यूटर पर काम करते समय इन बातों का ध्यान रखेंगे तो निश्चित रूप से आँखों से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी से दूर रहेंगे। आज के समय में कंप्यूटर हमारे जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है। इसलिए इसका इस्तेमाल करते समय कुछ अच्छी आदतों को भी अपना लेना बहुत जरूरी है, जैसे—कार्य करने के दौरान आँखें बंद करके उन्हें दाहिनी ओर फिर बाईं ओर घुमाना, आँखें खोलकर अँगूठे पर अपनी नजरों को टिकाकर उन्हें दाईं ओर से बाईं ओर फिर बाईं ओर से दाईं ओर लाना, उसे नजदीक से दूर एवं दूर से नजदीक लाना, आँखों से प्राकृतिक हरे-भरे दृश्यों को देखना, एक-दो घंटे में आँखों को धोना, पानी के छींटे मारना और आँखों में किसी भी तरह परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह लेकर आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना आदि। इसके अतिरिक्त अपनी गरदन व हाथों की सामान्य एक्सरसाइज भी शरीर को फिट व स्वस्थ रखने में सहयोग देती है। आँखें परमात्मा का अमूल्य उपहार हैं और इनकी सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा भी है।                

एक गाँव में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसने धन-संपत्ति स्वयं अर्जित नहीं की थी, उसे सब कुछ पिता से विरासत में मिला था। वह दिन-रात बिना उद्यम किए अपने धन में वृद्धि चाहता था। एक दिन उसने इस संदर्भ में साधु-महात्मा से परामर्श करने की सोची और एक संत के यहाँ पहुँचा। उसने संत को प्रणाम करके कहा—"महात्मा जी कोई ऐसी युक्ति बताइए, जिससे मेरे धन में लगातार वृद्धि हो।" संत ने उसे कुछ बीज देते हुए कहा—"ये बीज बड़े चमत्कारी हैं। तुम इन्हें अपने आँगन के किसी कोने में नमी वाली जगह पर बो देना। तुम्हारे धन में वृद्धि होने लगेगी।" वह व्यक्ति बीज ले आया और उन्हें आँगन में नमी वाले स्थान पर बो दिया। कुछ दिनों बाद पौधे उग आए, बड़े होकर वृक्ष बने, उनमें फल आने लगे, पर उसकी संपत्ति नहीं बढ़ी। वह दुखी होकर पुन: संत के पास पहुँचा और बोला—"मैंने  बीज तो बो दिए, पर संपत्ति नहीं बढ़ी।" संत ने मुस्कराकर कहा—"मैंने सोचा था तुम मेरी बात समझ जाओगे, पर तुम तो समझ नहीं पाए। तुमने बीज बोए, उनमें खाद-पानी दिया, अब वे फल दे रहे हैं, जिसका लाभ तुम्हारा पूरा परिवार ले रहा है। उद्यम करने से ही तो लाभ होता है। तुम अपने धन को भी उद्यम में लगाओ, इससे तुम्हें लाभ होगा, अन्यथा जो संपत्ति है, वह भी समाप्त हो जाएगी।" उस व्यक्ति को बात समझ में आ गई। वह उस दिन से मेहनत करने लगा।



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