आज के प्रज्ञावतार की, युग- देवता की अपील

मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार के सौभाग्य आते हैं और उन सौभाग्यों के लिए आदमी सदा अपने आपको सराहता रहता है। ऐसे सौभाग्य कभी- कभी ही आते हैं, हमेशा नहीं। शादी- ब्याह कभी- कभी ही होते हैं, रोज नहीं। ‘कन्वोकेशन’ में डिग्री रोज नहीं मिलती, वह जीवन में एकाध बार ही मिलती है, जब हाथ में डिग्री लिए और सिर पर टोप पहने हुए फोटो खिंचवाते हैं। सौभाग्य के ऐसे दिन कभी- कभी आते हैं, उनमें लाटरी खुलना और कोई ऊँचा पद पाना भी शामिल है। लेकिन आदमी का सबसे बड़ा सौभाग्य एक ही है कि वह समय को पहचान पाए। आदमी समय को पहचान ले तो मैं समझता हूँ कि इससे बड़ा सौभाग्य दुनियाँ में कोई हो ही नहीं सकता। खेती- बाड़ी सब करते हैं, लेकिन जो किसान वर्षा के दिनों सही समय पर बीज बो देते हैं, वे बिना मेहनत किये अपने कोठे भर लेते हैं। गेहूँ की फसल लेने के लिए जो समय को पहचानकर बीज बोते हैं, वे अच्छी फसल कमा लेते हैं, अगर बीज बोने का समय निकल जाए तब फसल की पैदावार की आप उम्मीद नहीं कर सकते। शादी- ब्याह की एक उम्र होती है और जब समय निकल जाता है, तो आदमी को कई बार बहुत हैरानियाँ बर्दाश्त करनी पड़ती है, लगभग असफलता के नजदीक पहुँच जाता है वह। जो आदमी समय को पहचान लेते हैं, वे बहुत नफे में रहते हैं। गाड़ियों में रिजर्वेशन होता है। जो समय पर पहुँच जाते हैं, लाइन में लग जाते हैं, उन्हें गाड़ी में सीट मिल जाती है। जो टाइम को पास कर देते हैं, निकल जाने देते हैं, वे बहुत हैरान होते हैं।

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