देवपूजन का मर्म समझें

देवियो, भाइयो! देवता का अनुग्रह पाने के लिए देवता का पूजन करना आवश्यक है । इसके बिना देवता प्रसन्न नहीं हो सकते, देवता का अनुग्रह नहीं मिल सकता, देवता का प्यार नहीं मिल सकता, देवता की कृपा नहीं हो सकती । देवता का पूजन करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, अगर हम उसे बताने लगें, तो बात लंबी हो जाएगी । इसलिए पंचोपचारपरक देवपूजन की व्याख्या तो मैं यहाँ नहीं कर सकता । लेकिन इस पंचोपचार की व्याख्या मैंने हजारों बार की है, जिंदगी भर की है और सारी जिंदगी भर करूँगा, ताकि आपकी देवात्मा पर आस्था बनी रहे । अगर आप सच्चे अध्यात्मवादी हैं तो आप या तो हिंदू हो जाइए या मुसलमान हो जाइए । नहीं साहब! हम हिंदू भी नहीं हो सकते और मुसलमान भी नहीं हो सकते, तो फिर आप मर जाइए या जिंदा हो जाइए । नहीं साहब! हम मरना भी नहीं चाहते और जिंदा भी नहीं होना चाहते हैं । तो फिर क्या होना चाहते हैं? अच्छा तो वही रहिए जो आप इस समय हैं । इस समय न आप मरे हुए हैं और न जिंदा हैं । न आप भौतिकवादी हैं और न अध्यात्मवादी हैं । अगर आप भौतिकवादी हैं तो कम्यूनिस्ट हो जाइए । यह आपकी मरजी है कि आप भगवान का नाम नहीं लेंगे और आप अगर अध्यात्मवादी हैं तो सच्चे मायने में अध्यात्मवादी हो जाइए जैसा कि हम आपको सिखाते हैं । जिस तरह हम आपको सिखाते हैं, उस तरह का अध्यात्मवाद भी आपको मंजूर नहीं और उस तरह का कम्यूनिज्म भी मंजूर नहीं ।

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