धर्मतंत्र की गरिमा एवं महत्ता

आज भगवान् महावीर का और रामभक्त हनुमान का जन्मदिन है। जैन धर्म के प्रथम संस्थापक भगवान् महावीर का यह जन्म-दिवस है और आज ही हनुमान जी का भी है। भगवान् भक्त हनुमान भी आज ही जन्मे थे। वे हमारे प्रेरणा के स्त्रोत हैं। आज का दिन कितना शुभ है? भगवान् महावीर राजकुमार थे। उन्होंने सोचा कि राजकुमार होने की अपेक्षा संत होना अच्छा है, अतः हमें संत बनकर जीना चाहिए, क्योंकि राजकुमार की-राजा की शक्ति की अपेक्षा संत की शक्ति बड़ी है। संत समाज की जो सेवा कर सकता है, वह राजा नहीं कर सकता। यह विचार करने के बाद उन्होंने बुद्ध भगवान् की तरह अपना राजपाट छोड़ दिया और तपश्चर्या में निमग्न हो गये। यद्यपि वे चाहते तो राजसत्ता के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने देखा कि राजसत्ता का दायरा बहुत सीमित है-बड़ा क्षुद्र है। धर्मतंत्र की शक्ति राज़तंत्र की तुलना में असंख्य गुनी अधिक है। राजसत्ता केवल भौतिक जीवन पर प्रभाव डाल सकती है, लेकिन हमारे अन्तःजीवन में प्रवेश नहीं कर सकती। साथियो, हृदय-हृदय पर शासन किसका होता है? हृदय-हृदय पर शासन धर्मर्तंत्र का था, है और रहेगा। भौतिक वस्तुओं पर शासन सरकार का रहेगा और सरकार का था। बहुत दिन पहले की बात

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