जीवन साधना बनाम दिव्यता की खेती

साधना माने अपने आपको साध लेना। अपने आपको साध लेने को माने क्या। उसके माने यह है कि अपनी पात्रता को इस लायक बना देना कि कोई हमको देने के योग्य समझे और हमको दे। पात्रता यदि हमारी विकसित न हुई तो कोई हमको देगा ही नहीं। आप पढ़े नहीं हैं लिखे नहीं है एक आँख खराब है चला नहीं जाता शादी के लिये इच्छुक हैं फलानि लड़की बी०ए० पास है फलानि एम०ए० पास है। फलानि को संगीत आता है तो क्या मतलब है आपको। नई साहब उससे शादी हो जाती तो हमारा अच्छा हो जाता। नहीं उसके साथ आपकी शादी नहीं हो सकती क्योंकि आप उसके पात्र नहीं है। पात्रता इस संसार में सबसे बड़ी चीज है। चाहे संसार में देख लें चाहे भगवान् के यहाँ देख लें नियम एक से ही लागू होते हैं। चुनाव कमीशन बैठता है तो उसमें से इंटरव्यू लेता है जो उसमें से अच्छे डिवीजन लेकर आते हैं उनको अफसर की पदवी मिल जाती है। सरकार वज़ीफ़ा केवल उनको दिया करती है जिनके कि डिवीजन अच्छे होते हैं। फर्स्ट डिवीजन पाते हैं। हम गरीब हैं तो हम क्या करें गरीब हैं तो आप रहिये गरीब अपना कमाइए खाइये। सरकार से क्या मतलब आपके अंदर योग्यता है क्षमता है तो आपको वज़ीफ़ा मिलेगा और वज़ीफ़ा के द्वारा आप ज्यादा उन्नतिशील बन सकें इसीलिये आपको सहायता दी जा रही है। यही कायदा भगवान् के यहाँ है। आप पात्र है तो आपको सब मिलेगा और आप कुपात्र हैं तो कुपात्रों के लिए तो बाप भी वसीयत कर जाते हैं कि हमारा बेटा बड़ा कुपात्र है नाती जब हो जाये तब उसको हमारी संपत्ति में हक मिले लड़का जुआ खेलता है शराब पीता है उसको हमारी जायदाद में से कोई हक न मिले।

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