देवियो, भाइयो! प्रकृति का कुछ ऐसा विलक्षण नियम है कि पतन स्वाभाविक है। उत्थान को कष्टसाध्य बनाया गया है। पानी को आप छोड़ दीजिए, नीचे की ओर बहता हुआ चला जाएगा, उसमें आपको कुछ नहीं करना पड़ेगा। ऊपर से आप एक ढेला जमीन पर फेंक दीजिए, वह बड़ी तेजी के साथ गिरता हुआ चला आएगा, आपको कुछ नहीं करना पड़ेगा। नीचे गिरने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती, कोई प्रयास नहीं करना पड़ता। ऐसे ही संसार का कुछ ऐसा विलक्षण नियम है कि पतन के लिए, बुरे कर्मों के लिए आपको ढेरों के ढेरों साधन मिल जायेंगे, सहकारी मिल जायेंगे, किताबें मिल जायेंगी, और कोई न मिलेगा, तो आपके पिछले जन्म- जन्मान्तरों के संग्रह किये हुये कुसंस्कार ही आपको इस मामले में बहुत मदद करेंगे, जो आपको गिराने के लिये बराबर प्रोत्साहित करते रहेंगे। पाप- पंक में घसीटने के लिये बराबर आपका मन चलता रहेगा। इसके लिए न किसी अध्यापक की जरूरत है, न किसी सहायता की जरूरत है, यह तो अपनी नेचर ऐसी हो गई है। ग्रेविटी पृथ्वी में है न। ग्रेविटी क्या करती है? ऊपर की चीजों को नीचे की ओर खींचती है। न्यूटन ने देखा सेव का फल जमीन पर ऊपर से गिरा। क्यों, गिरने में क्या