देवियो, भाइयो!
यह समय बहुत ही संकटमय है। हर जगह असुरता छाई हुई है। इस समय ताड़का, कुम्भकरण, सुबाहु- सभी अपना ताण्डव नृत्य दिखा रहे हैं। इस समय महान व्यक्तियों को महान कार्य करना है। हर युग में ऐसे व्यक्तियों ने विशेष काम किया है। बड़े आदमी ही बड़े काम कर सकते हैं। छोटे आदमी छोटे काम कर सकते हैं। बड़े काम करने के लिए आत्मा को जगाना पड़ता है, उसे गरम करना पड़ता है। छोटे आदमी बड़े काम नहीं कर सकते। हाथी जो काम कर सकता है, छोटे जीव- जन्तु उसे नहीं कर सकते। सामान्य जीव का केवल उद्देश्य होता है- पेट एवं प्रजनन, परन्तु असामान्य व्यक्ति का उद्देश्य यह नहीं होता है। यह मनुष्य, जो देवता बन सकता था, उसकी महत्त्वाकाँक्षाओं ने उसे बरबाद कर दिया। वह मकड़ी के जाल में फँस गया, मिट्टी में मिल गया। वह सारे जीवन भर केवल दो ही काम करता रहता है- एक पेट तथा दूसरा प्रजनन, परन्तु असामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है। उसके अन्दर एक हलचल होती है, एक हूक उठती है। समय की पुकार को वह अनसुनी नहीं कर सकता, संकटों से जूझने के लिए उठ खड़ा होता है।
महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास पहुँचे। उन्होंने कहा कि यह