गीत संजीवनी-4

इतिहास के स्वर्णिम

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इतिहास के स्वर्णिम

इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर- कुछ नाम लिखाये जायेंगे।
जो महाकाल के न्योते पर- कुछ नया सृजन कर पायेंगे॥

जिनने पहचाना समय और- हिम्मत कर आगे आए हैं।
उनने यश गौरव पाया है- वे ही नर श्रेष्ठ कहाये हैं॥
सदियों तक नाम अमर होगा- जग याद करेगा उन सबको।
उनने निज जीवन सफल किया सन्मार्ग दिखाया है जग को॥
उनके चरणों में श्रद्धा के कुछ- सुमन चढ़ाये जायेंगे॥

नवयुग का सूरज उदय हुआ- अँगड़ाई लेता महाकाल।
इस संधिकाल की बेला में- प्राची का मुखड़ा हुआ लाल॥
सोने का समय गया अब तो- जागो जागो हे सृजन वीर।
बढ़ चलो लक्ष्य की ओर सतत्- पथ की बाधाएँ चीर- चीर॥
तेरे चरणों पर अनायास ही- शीश झुकाये जायेंगे॥

कर्तव्य बुलाता है सबको- उनको जिनमें कुछ जीवन है।
यह समय चुनौती देता है- स्वीकार करें जिनका मन है॥
अँधियारा चाहे जितना हो- दीपक को बुझा नहीं सकता॥
बाधाओं का भय साधक की- निष्ठा को डिगा नहीं सकता॥
नन्हें से हैं तो भी दीपक ही- विजय अन्त में पायेंगे।

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