गीत संजीवनी-2

चाहते यदि बनाना जगत

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चाहते यदि बनाना जगत को चमन।
तो समझ लो सखे! जिन्दगी है हवन॥
जिन्दगी है हवन बन्दगी है हवन।
तो समझ लो सखे जिन्दगी है हवन॥

यज्ञ का अर्थ है दूसरों का भला-
और को रोशनी दे दिया ज्यों जला।
सब खुशी से रहें और सहो तुम जलन॥
तो समझ लो...........॥

यज्ञ का अर्थ है हो अँधेरा जहाँ-
मेटकर तम बिखेरो उजेरा वहाँ।
जब इसी हेतु खुद को बना लो किरन॥
तो समझ लो...........॥

यज्ञ निष्फल नहीं लाभ मिलता तुरत-
यज्ञ से ही हुए राम- लक्ष्मण भरत।
और प्रिय शत्रुघन से जयी रिपुदमन॥
तो समझ लो...........॥

यज्ञ की सभ्यता संस्कृति है यहाँ-
जन्म से मृत्यु तक यज्ञमय क्रम यहाँ।
जिन्दगी मोर सी यज्ञ है, श्याम घन॥
तो समझ लो...........॥

मुक्तक-

यज्ञ रूप यह विश्व है- यज्ञ पुरुष भगवान।
जिसका जीवन यज्ञमय- वह सच्चा इन्सान॥    
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