युग गायन पद्धति

जागेगा इन्सान

<<   |   <   | |   >   |   >>
टिप्पणी - यह युग निर्माण का महत्वपूर्ण समय है। यह ईश्वरीय योजना हे जिसे पूरी होना ही है युग ऋषि का कहना है कि लोग अपनी दृष्टि भले ही परिवर्तन का प्रवाह न देख पायें, किन्तु मनुष्य के अंदर मनुष्यता जागेगी और युग निर्माण के बढ़ते चरण जन- जन के सामने उभरेंगे।

जागेगा इन्सान, जमाना देखेगा।
नवयुग का निर्माण, जमाना देखेगा॥

हर मनुष्य में देवत्व है। वह जागेगा तो मनुष्य देवता जैसे दिखेंगे। हर व्यक्ति अंतः प्रेरणा से प्रेरित होकर अपने पर और अपनों पर सुधार के प्रयोग करेगा तो देखते ही देखते हमारा देश फिर विश्व का मार्ग दर्शक बनेगा।

देवता बनेंगे मेरे, धरती के प्यारे।
हम सुधरें तो, जग को सुधारें॥
चमकेगा देश हमारा, मेरे साथी रे
आँखों में कल का, नजारा मेरे साथी रे॥
धरती पर भगवान्, जमाना देखेगा १॥

आज भले मनुष्य संवेदना शून्य, स्वार्थी, हृदयहीन होता दिख रहा हो, किन्तु ईश्वर की इच्छा, ऋषियों के तप और सज्जनों की साधना से मनुष्य में मनुष्योंचित संवेदनाएँ उभरेगी। दुख बंटाये जायेंगे, सुख बाँटे जायेंगे। प्यार और सहकार के स्वर्गीय नजारे फिर दिखेंगे

मिल जुलकर होंगे सारे, खुशियों के मेले।
कोई न रो पायेगा, दुःख में अकेले॥
जागेगा देश हमारा, मेरे साथी रे
आँखों में कल का, नजारा मेरे साथी रे॥
कल का हिन्दुस्तान, जमाना देखेगा॥ २॥
<<   |   <   | |   >   |   >>

 Versions 


Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118