विवाह दिन पर सभी हम मिले हैं।
आज खुशियों के गुलशन खिले हैं॥
नवसुमन से सुगन्धित रहो तुम।
मुस्कुराते सदा ही रहो तुम॥
जैसे तारे गगन में खिले हैं॥
भूल चूकों को मन से हटाना।
प्रेम- विश्वास को नित बढ़ाना॥
भाव सुन्दर हृदय में खिले हैं॥
एक दूजे का गौरव बढ़ायें।
श्रेष्ठ सहकार का क्रम निभायें॥
देखो निष्ठा के दीपक जले हैं॥
जन्म- जन्मान्तरों का है नाता।
धन्य है वह इसे जो निभाता॥
यह विमल प्रेम के सिलसिले हैं॥
ऋषि युगल का सुभग प्यार पाओ।
पात्रता दिव्य अपनी बढ़ाओ॥
देव आशीष देने खड़े हैं॥
इस दिवस पर करें आज चिन्तन।
दिव्य बन जाये दोनों का जीवन॥
श्रेष्ठ पथ पर सदा जो चले हैं॥
मुक्तक-
दाम्पत्य है साधना, लौकिक आध्यात्मिक विमल।
संस्कार वह धन्य है, जो रचता दम्पत्ति युगल॥
अपने श्री -- है विवाह दिन आज।
गुरु, गायत्री, गणपति, पूर्ण करें शुभ काज॥