गीत संजीवनी-11

है यह सत्य अटल यह

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है यह सत्य अटल यह दुनियाँ बदलेगी,
आज नहीं तो कल यह दुनियाँ बदलेगी॥
बदलेगी, बदलेगी, निश्चय दुनियाँ बदलेगी॥

होंगे तब भी धरती और आकाश यही,
अग्नि, वायु ,जल का होगा आभास यही।
सूरज, चाँद, सितारे ऐसे ही होंगे,
दृश्य जगत के सारे ऐसे ही होंगे।
केवल दृष्टि बदल जायेगी मानव की,
मन होगा निर्मल यह दुनियाँ बदलेगी॥

उन्नति नहीं रुकेगी आविष्कारों की,
रुक जायेगी किन्तु होड़ हथियारों की।
वैज्ञानिक जन सृजन सहायक ही होंगे,
साधन फिर सच्चे सुखदायक ही होंगे।
होगा युग निर्माण, रुकेगा युद्धों का-
भीषण दावानल, यह दुनियाँ बदलेगी॥

नहीं स्वयं को फिर शरीर हम समझेंगे।
सत्साधक को शूरवीर हम समझेंगे॥
आत्मा का आनन्द अमर हम जानेंगे।
हम हैं कौन? स्वयं को हम पहचानेंगे॥
होगी मूर्च्छा दूर सगर सन्तानों की।
पाकर गंगाजल यह दुनियाँ बदलेगी॥

संघबद्ध सब नेक सदाचारी होंगे,
सज्जन सन्त दुर्जनों पर भारी होंगे।
दुष्ट दुराचारी में शक्ति नहीं होगी,
कर्म करेंगे सब आशक्ति नहीं होगी।
सदाचार सम्मानित होगा धरती पर,
होगा जनमंगल यह दुनियाँ बदलेगी॥

जरा सोचलें अब हमको क्या करना है,
पाना है अमरत्व कि पल- पल मरना है।
ऐसा जीवन जिएँ कि अपराजेय बनें,
पीड़ित मानवता के हित पाथेय बनें।
वर्तमान में प्रभु के हों सब सहयोगी,
है भविष्य उज्ज्वल यह दुनियाँ बदलेगी॥

मुक्तक-

बदलना है जमाना यह, सुनिश्चित है न संशय है।
प्रकृति का रूप बदलेगा नहीं, बदलाव निश्चय है॥
मनुज की प्रकृति बदलेगी, व परिवर्तन विचारों में।
मनुज में देव, भू पर स्वर्ग, नवयुग का यह परिचय है॥

गायन, वादन, नृत्य इन तीनों कलाओं के मेल से ही संगीत की उत्पत्ति हुई है, इसमें प्रथम स्थान गायन का, द्वितीय स्थान वादन का, तृतीय स्थान नृत्य का है।
शब्दों के भाव एवं लय में संगीत होता है। पूरे संसार में लयबद्धता व्याप्त है।

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