गीत संजीवनी-11

हमको अपने भारत की

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हमको अपने भारत की, मिट्टी से अनुपम प्यार है।
अपना तन- मन जीवन सब, इस मिट्टी का उपहार है॥

इस मिट्टी में जन्म लिया था, दशरथनन्दन राम ने।
इस धरती पर गीता गाई, यदुकुलभूषण श्याम ने।
इस धरती के आगे मस्तक, झुकता बारम्बार है॥

इस माटी की जौहर गाथा, गाई राजस्थान ने।
इसे बनाया पावन गाँधी, के महान् बलिदान ने।
मीरा के गीतों की इसमें, छिपी हुई झंकार है॥

इस, मिट्टी की शान बढ़ायी, तुलसी, सूर, कबीर ने।
अर्जुन, भीष्म, अशोक, प्रतापी,भगतसिंह से वीर ने।
इस धरती के कण -कण में,शुभ कर्मों का संस्कार है॥

कण- कण मन्दिर इस माटी का,कण,कण में भगवान् है ।।
इस मिट्टी का तिलक करो,ये अपना हिन्दुस्तान है।
इस माटी का हर सपूत, भारत का पहरेदार है॥

मुक्तक-

तुझमें खेले गाँधी, गौतम, राम, कृष्ण बलराम।
मेरे देश की माटी तुझको, सौ- सौ बार प्रणाम॥
जीवन पुष्प चढ़ा चरणों में, माँगे मातृभूमि से यह वर।
तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे ना रहे॥
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