गीत संजीवनी-11

हर दिनों से ये दिन कितना

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हर दिनों से ये दिन कितना प्यारा।
हो मुबारक जनम दिन तुम्हारा॥

हम विजयमाल तुमको पहनायें,
माथे ऊपर तिलक हम लगायें॥
ये घड़ी है न केवल खुशी की,
प्रेरणा लें नई जिन्दगी की॥
करती उज्ज्वल भविष्य का इशारा॥

ये मनुज तन ही दुर्लभ जनम है,
करना उद्धार इसका धरम है।
जिन्दगी का है अनमोल हर क्षण,
काट लें दुर्विचारों का बन्धन।
अब समय ने तुम्हें है पुकारा॥

दें न इन्द्रिय सुखों की दुहाई।
श्रेष्ठ चिन्तन में ही है भलाई॥
चिरञ्जीवी हो बधाई- बधाई।
हो सदा सद्गुणों से मिताई॥
सब सफल हो मनोरथ तुम्हारा॥

बेला युग सन्धि की है ये आई,
दे रही रण की भेरी सुनाई।
विकृति- संस्कृति की है ये लड़ाई,
दे रही है मनुजता दुहाई॥
दें मनुज संस्कृति को सहारा॥

मुक्तक-

समय बड़ा ही मूल्यवान प्रिय!, अपने गौरव को पहचानो।
जन्मदिवस पर निज जीवन को, श्रेष्ठ बनाने का प्रण ठानो॥

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